बेजुबान पशु-पक्षियों की रक्षा करना भी मानव धर्म व कर्तव्य है – ई. अंशुल पटेल

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बेजुबान पशु-पक्षियों की रक्षा करना भी मानव धर्म व कर्तव्य है – ई. अंशुल पटेल

रिपोर्ट – सिद्धार्थ शुक्ला बस्ती

बस्ती। लगातार हो रही तापमान में वृद्धि, भीषण गर्मी और चिलचिलाती धूप से लोग बेहाल हो उठे हैं धूप से बचने के लिए चेहरा हाथ ढककर निकल रहे हैं वहीं इस तपती धूप और गर्मी की वजह से बेजुबान पशु-पक्षियो का भी हाल बेहाल है नहर,तालाब,पोखरों में भी पानी न होने से गर्मी की प्यास से व्याकुल देखे जा सकते हैं जन उत्थान चैरिटेबल ट्रस्ट बेज़ुबान पशु-पक्षियों को लेकर काफी संवेदनशील है शहर में विभिन्न जगहों पर बेज़ुबान पशु पक्षियों के लिए पानी की व्यवस्था की गई है।
जन उत्थान चैरिटेबल ट्रस्ट के संस्थापक/अध्यक्ष इं.अंशुल पटेल का मानना है इंसान की पहचान उसके भीतर इंसानियत होती है। इंसानियत से आशय प्रेम, करुणा, सहानुभूति, मित्रता से है। सिर्फ मानव के साथ मैत्री व करुणा रखने वाला व्यक्ति इंसान नहीं होता है अपितु विश्व के कल्याण के प्रति सोच रखने वाला ही असली इंसान होता है। इसमें हमारी प्रकृति में सभी प्रकार के जीव-जंतु, पशु-पक्षी और पेड़- पौधे भी शामिल हैं। बेजुबान पशु-पक्षियों की रक्षा करना भी मानव धर्म व कर्तव्य है ऐसे में हमें बेजुबानों की की मदद करनी चाहिए।


उन्होंने कहा कि हमारी प्रकृति के पशु पक्षियों का सम्मान करना हमारी संस्कृति रही है और इससे लोगों को संदेश देना चाहता हूं कि बेजुबानों के प्रति संवेदनशील हों और अपने आस इनके लिए पानी की व्यवस्था अवश्य करें। पशु-पक्षी अपना दु:ख-दर्द हमसे साझा नहीं कर सकते।
ऐसे में हमें पशु-पक्षियों के प्रति संवेदनशील होना होगा।
प्राचार्य प्रो. अभय प्रताप सिंह नें
पशु-पक्षियों के साथ मित्रतापूर्ण व्यवहार करने की सीख दी। कहा कि प्राकृतिक संतुलन बनाए रखने में पशु-पक्षियों की भूमिका अहम है। उन्हें भी पृथ्वी पर रहने का उतना ही अधिकार है जितना मानव जाति को।
विधि विभागाध्यक्ष डॉ एसपी सिंह ने कहा बेशक पशु-पक्षी मनुष्य की भांति बोल नहीं सकते लेकिन मानव से अधिक समझदार होते हैं।
उनमें भी मनुष्य की तरह दर्द, भावनाएं व प्यार के भाव होते हैं। जानवर भी खुश और दु:खी होते हैं। वे हर बात समझते और महसूस करते हैं। किसी को नुकसान तभी पहुंचाते हैं जब वह उससे खतरा महसूस करते हैं। यदि हम उन्हें प्यार देंगे तो वह भी हमसे स्नेह करेंगे। पशु-पक्षी मनुष्य से भी ज्यादा वफादार होते हैं। विपरीत परिस्थितियों में वह अपने स्वामी के लिए जान देने भी नहीं चूकते। देश- दुनिया में ऐसे तमाम उदाहरण देखने को मिलेंगे। सही मायने में पशु-पक्षी मानव जाति के सच्चे मित्र होते हैं
विशेष अवसरों हम उन्हें चारा व खाना देते हैं।
हमारी संस्कृति जानवरों के संरक्षण का संदेश देती है। हम इस पर का ध्यान भी देते हैं लेकिन कुछ लोग जाने-अनजाने में पशु-पक्षियों संग क्रूरतापूर्ण व्यवहार करने से भी नहीं चूकते। यह आदत हमें बदलनी होगी।
डॉ विष्णु जैसवाल नें कहा जानवरों के प्रति भी उतनी ही संवेदना की जरूरत है जितना हम अपने परिवार व मित्रों के प्रति रखते हैं।
नगर पालिका के चेयरमैन अंकुर वर्मा नें इस पहल के लिए जन उत्थान चैरिटेबल ट्रस्ट के इस पहल की खूब सराहना की।
ओमकार चौधरी ने कहा पशु-पक्षी भी इसी समाज के अंग हैं और प्राकृतिक संतुलन बनाए रखने में वह सहयोग करते हैं। जिसमें मुख्य रूप से मनीष चौधरी, उद्धव सिंह, मनीष निषाद, दीपांशू, नीरज यादव, राजन समेत तमाम लोग मौजूद रहे।

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