नगर पंचायत कोइरीपुर में भाजपा का हिन्दू मुसलमान मुद्दा हुआ गायब

सुलतानपुर -
जनपद की सबसे पुरानी नगर पंचायत कोइरीपुर में इस बार चुनाव में स्थानीय मुद्दों हावी है। राष्ट्रीय मुद्दों व कानून व्यवस्था, हिन्दू मुसलमान जैसे मुद्दे चुनाव से नदारत हैं।
अध्यक्ष पद के लिए कुल 9 उम्मीदवार मैदान में हैं। सीमा साहू निवर्तमान चेयरमैन सुधीर साहू की पत्नी हैं। श्रीमती साहू की तरफ से संकल्प पत्र जारी किया गया है। आगामी पांच वर्षों में कराए जाने वाले विकास कार्यो की रूपरेखा क्या होगी बताया गया है। सांसद मेनका गांधी, माननीय विधायकगण सीताराम वर्मा राजेश गौतम, प्रदेश सरकार के मंत्री नंद कुमार नंदी , संगठन के आला पदाधिकारी बदौलत मैदान फतह करने के लिए जी जान लगा दिए। लेकिन एंटी इनकंबेंसी के अलावा पिछले 5 वर्षों में पार्टी में कम सक्रिय रहना, सामाजिक कार्यों से दूरी बना के रखना इनके लिए भारी पड़ रहा है। स्थानीय चुनाव को नजदीक से समझने वालो का मानना है कि पिछले कई चुनावो में विकास से बड़ा हिन्दू मुसलमान मुद्दा बनता रहा है। लेकिन इस बार दोनों पक्ष विपक्ष में विकास ही मुद्दा है। जो स्वस्थ चुनाव के लिए आशा की किरण है।हालांकि इसका फायदा विपक्षी को ज्यादा मिलता दिख रहा है। बसपा उम्मीदवार रुबीना खातून है। सपा से पूर्व चेयरमैन रह चुकी हैं । पति कासिम राइन की मिलनसार छवि के नेता है।कान्हा गौशाला, पावर सब स्टेशन, डंपिंग ग्राउंड ,दीनदयाल उपाध्याय पार्क जैसे तमाम बड़े काम अपनी उपलब्धियों को मतदाताओं को याद दिला रहे हैं। समाजवादी पार्टी का प्रत्याशी मैदान में नहीं है। जिसका फायदा बसपा उम्मीदवार रुवीना खातून को सीधा मिलता हुआ दिखाई पड़ रहा है। सपा का मूल सपोर्टर भाजपा की तरफ नहीं जा सकता है। ऐसे में इसका फायदा बसपा प्रत्याशी को मिलेगा। कांग्रेस की प्रत्याशी नसरीन बानो है। दुबारा मैदान में हैं। पिछले चुनाव जैसा महौल नसरीन नही बना पा रही है।पिछले चुनाव में नसरीन को एक हज़ार से अधिक मत प्राप्त हुआ था। स्थानीय राजनीतिक जानकारों का मानना है कि इसमें से ज्यादातर मत अल्पसंख्यक मत रहे हैं। भाजपा टिकट के प्रबल दावेदार राजेश जयसवाल की पत्नी पूनम जयसवाल है। भाजपा की बागी उम्मीदवार के तौर मजबूत दावेदारी ठोक रही हैं। राजेश जयसवाल की निर्विवाद संघर्षशील छवि पूरे चुनाव में दमदारी से मैदान में डटे रहना चुनाव का रुख बदल दिया है। भाजपा समर्थकों के अलावा समाज के अन्य वर्गों में भरपूर समर्थन भी मिल है। पूनम जयसवाल का मैदान में डटे रहने से चुनाव हिन्दू मुसलमान नही हो पाया। यही भाजपा के लिए बड़ी मुसीबत साबित हो सकता है। स्थानीय जानकारों का मानना है कि पूनम जायसवाल लड़ाई को त्रिकोणीय कर सकती है ।
चुनाव में भाजपा,बसपा, कांग्रेस व निर्दल उम्मीदवार अपने पूरे दमखम से लड़ रहे हैं। चुनाव का शोर थम चुका है । परिणाम क्या होगा यह मतदाता तय करेंगे। लेकिन चुनाव मुद्दों पर लड़ा जा रहा है। यह लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत है।
रिपोर्ट: चंदन यादव लंभुआ सुल्तानपुर