राहुल गांधी के हाथों से चर्चा में आई पॉकेट संविधान कि किताब

1 min read

लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान, प्रेस वार्ताओं और उसके बाद संसद में आपने राहुल गांधी के हाथ में संविधान की एक किताब लगातार देखी होगी। इस किताब का लखनऊ से सीधा कनेक्शन है
बीते लोकसभा चुनाव में जिस एक शब्द ने चुनाव की धारा मोड़ी है वह संविधान है। राहुल गांधी सहित पूरे विपक्ष ने इस बात को चुनावी मुद्दा बनाया कि मोदी सरकार यदि चार सौ सीटें लेकर आती है तो वह संविधान बदल सकती है। नतीजे आपके सामने हैं। इस संविधान बदलने की बात कहने में राहुल गांधी के हाथों में एक किताब लगातार दिखती रही। फिर वह चाहे रैली में हों, प्रेस वार्ता में हों या फिर संसद में शपथ लेने के दौरान। उनके हाथ में जो किताब दिखी वह पॉकेट संविधान है। इस पॉकेट संविधान किताब का लखनऊ से सीधा कनेक्शन है।
लखनऊ स्थित ईस्टर्न बुक कंपनी (ईबीसी) द्वारा प्रकाशित चमड़े के कवर वाली इस लाल किताब ने उस वक्त सुर्खियां बटोरीं, जब लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान विपक्ष के नेताओं खासकर राहुल गांधी ने रैलियों में अकसर इस पॉकेट संविधान को दिखाते हुए दावा किया कि अगर भाजपा सत्ता में लौटी तो वह संविधान में बदलाव करेगी।


लालबाग स्थित ईस्टर्न बुक कंपनी के सेल्स अधिकारी सुधीर कुमार बताते हैं कि ईबीसी, संविधान के इस पॉकेट संस्करण का इकलौता प्रकाशक है। पिछले तीन महीनों में इसकी लगभग 5000 प्रतियां बिकी हैं। इसका पहला संस्करण साल 2009 में छापा गया था और तब से इसके 16 संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं। इसकी प्रस्तावना पूर्व अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने लिखी है। आंखों में चमक लिए सुधीर कहते हैं कि यह सुंदर और गौरवशाली संविधान की किताब हर भारतीय की जेब में होनी चाहिए।

ईस्टर्न बुक कंपनी ने संविधान के इस पॉकेट संस्करण का बौद्धिक संपदा अधिकार सुरक्षित करा लिया है। जिसका मतलब है कि किताब के इस साइज, स्टाइल, कलर और फांट की नकल नहीं की जा सकती। सुधीर बताते हैं कि विदेश यात्राओं के दौरान भारतीय सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश अकसर आधिकारिक तौर पर अपनी कोट की जेब में संविधान का यह संस्करण रखते हैं। दुनिया भर के कई पुस्तकालयों में भी इसे रखा गया है। 624 पन्नों का संविधान का यह पॉकेट संस्करण ‘बाइबिल पेपर’ पर छपा है। पॉकेट साइज इस संविधान की लंबाई 20 सेमी और चौड़ाई 9 सेमी है।

क्या है ‘बाइबिल पेपर’
सुधीर बताते हैं कि 624 पन्नों की किताब को अंतरराष्ट्रीय गुणवत्ता व मानक से समझौता किए बगैर, पॉकेट में फिट होने लायक छापना हमारे लिए चुनौती थी। इसके लिए कंपनी ने रिसर्च के बाद इसे बाइबिल पेपर पर छापा। बहुत बारीक पन्नों बावजूद यह मजबूत होता है। साथ ही दोतरफा प्रिंट में छपे हुए शब्द दूसरी तरफ से नहीं झांकते।

You May Also Like

More From Author

+ There are no comments

Add yours