हाईकोर्ट का अहम फैसला, अंतरधार्मिक जोड़े को बिना धर्म बदले विशेष विवाह अधिनियम के तहत शादी की अनुमति
याची ने कहा कि दोनों ने विवाह की न्यूनतम निर्धारित आयु पूरी कर ली है। वह विशेष विवाह अधिनियम के तहत शादी करना चाहते हैं। प्रतिवादियों से उन्हें धमकियां मिल रही हैं। ऐसे में जब तक उन्हें सुरक्षा नहीं दी जाती, वे शादी नहीं कर पा रहे हैं।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहे अंतरधार्मिक जोड़े को विशेष विवाह अधिनियम के तहत शादी की अनुमति दे दी। कहा, अगली तारीख तक शादी करने के बाद पूरक हलफनामे संग दस्तावेजी सबूत दाखिल करें। यह आदेश न्यायमूर्ति ज्योत्सना शर्मा ने हापुड़ (पंचशील नगर) के जोड़े की सुरक्षा देने की दाखिल याचिका पर दिया है।
याची ने कहा कि दोनों ने विवाह की न्यूनतम निर्धारित आयु पूरी कर ली है। वह विशेष विवाह अधिनियम के तहत शादी करना चाहते हैं। प्रतिवादियों से उन्हें धमकियां मिल रही हैं। ऐसे में जब तक उन्हें सुरक्षा नहीं दी जाती, वे शादी नहीं कर पा रहे हैं। वहीं, स्थायी वकील ने दलील दी कि याचिकाकर्ताओं ने समझौते के अनुसार शादी कर ली है। ऐसी शादी को कानून में मान्यता नहीं है। इसलिए कोई सुरक्षा नहीं दी जा सकती।
कोर्ट ने कहा कि प्रतिवादियों की ओर से याचिकाकर्ताओं के जीवन को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कोई नुकसान न पहुंचाया जाए। साथ ही कहा कि अगली सुनवाई तक याचिकाकर्ता विशेष विवाह अधिनियम के प्रावधानों के तहत शादी कर पूरक हलफनामे के साथ सबूत दाखिल करे।
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