कानपुर में बाढ़ और बारिश से किसानों की बर्बाद हुई फसल का तीन साल से नहीं मिला मुआवजा

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आपदा विभाग का कहना है कि आधार कार्ड, बैंक खाता नंबर में गलती के कारण तो डुप्लीकेसी के कारण मुआवजे का भुगतान नहीं हुआ। इन त्रुटियों को दुरुस्त करने के लिए शासन ने निर्देश दिए थे। हालांकि मुआवजा नहीं दिया गया।
कानपुर में बाढ़ और बारिश से किसानों की बर्बाद हुई फसल का तीन साल से मुआवजा नहीं मिला है। 1712 किसान ऐसे हैं, जिन्हें आज भी मुआवजे का इंतजार है। इनमें सत्र 2021-22 के 1237 किसान हैं, तो 2022-23 के 170 और 2023-24 के 305 किसान हैं। इनकों करीब 66 लाख रुपये मुआवजा मिलना है।
जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही के कारण किसान बैंक व आपदा प्रबंधन अधिकारियों के कार्यालय के चक्कर लगा रहे हैं। विभाग शासन भी को पत्र लिखकर शांत बैठ गया है। वित्तीय वर्ष 2021-22 और वर्ष 2022-23, 2023-24 में विभिन्न आपदाओं से क्षतिग्रस्त फसलों को लेकर राजस्व विभाग ने सर्वे कराकर सूची तैयार की थी।
इसकी पूरी डिटेल पोर्टल पर फीड करने के बाद शासन को भेजी गई थी। वर्ष 2021-22 के 9328 पात्र किसानों की सूची शासन को भेजी गई। इसमें 8091 को करीब दो करोड़ रुपये का मुआवजा दिया गया था। करीब 1237 किसानों को पैसा बाकी रह गया था। इन्हें अभी तक मुआवजा नहीं मिल सका।

इसके बाद वर्ष 2022-23 में 170 किसान और वर्ष 2023-24 में 305 किसानों को पात्र मानकर सूची भेजी गई थी, लेकिन इन्हें भी मुआवजा नहीं दिया गया। आपदा विभाग का कहना है कि आधार कार्ड, बैंक खाता नंबर में गलती के कारण तो डुप्लीकेसी के कारण मुआवजे का भुगतान नहीं हुआ। इन त्रुटियों को दुरुस्त करने के लिए शासन ने निर्देश दिए थे। हालांकि मुआवजा नहीं दिया गया।

तेज बारिश के कारण गंगा में बाढ़ आ गई थी, जिससे तहसील सदर क्षेत्र के गंगा बैराज किनारे करीब 12 गांवों पानी भर गया था। 200 से अधिक परिवारों को घर छोड़ना पड़ा था और करीब 150 बीघा फसल भी नष्ट हो गई थी। सबसे ज्यादा सब्जियों की फसल बर्बाद हुई थी। इसके अलावा वर्ष 2022-23 में नर्वल और घाटमपुर क्षेत्र में नदी किनारे खेतों में बाढ़ का पानी भर गया था और एक बार ओलावृष्टि हो गई थी। इससे करीब 170 किसानों की फसल नष्ट हो गई थी।

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