प्रतिबंधित क्षेत्र में यमुना नदी में अवैध मछली शिकार जारी

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फतेहपुर: प्रतिबंधित क्षेत्र में यमुना नदी में अवैध मछली शिकार जारी,

यमुना में मौत का जाल – प्रतिबंधित क्षेत्र में माफिया मछलियों पर डाल रहे हैं शिकारी जाल, ⚠️ जहां मछली पकड़ना कानूनन अपराध है, वहीं चल रहा मछलियों का अवैध कारोबार – खुलेआम, बेशर्मी से और सिस्टम की नाक के नीचे!

यमुना नदी के उस हिस्से में, जहां मछलियों के संरक्षण हेतु स्पष्ट सरकारी प्रतिबंध है, वहां अब यह इलाका माफिया मछुआरों का अड्डा बन चुका है।

📍 सैदपुर-सलेमपुर-प्रवेजपुर मार्ग से गुजरने वाले राहगीरों की आंखों के सामने हर रोज़ सुबह-शाम शिकारी नावों में बैठकर जाल बिछाते, मछलियों को उठाते, फिर बाजारों में बेचते दिखाई देते हैं।

फतेहपुर जनपद के डाटा किशनपुर थाना क्षेत्र के यमुना कतरी के गांव सैदपुर-सलेमपुर-प्रवेजपुर मार्ग के समीप यमुना नदी के प्रतिबंधित क्षेत्र में सरकारी आदेशों की खुलेआम अवहेलना करते हुए बड़े पैमाने पर मछली पकड़ने का अवैध कारोबार जारी है। यह न केवल नदी के पारिस्थितिकी तंत्र को गंभीर नुकसान पहुंचा रहा है, बल्कि स्थानीय प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े कर रहा है।

यमुना नदी के इस हिस्से में मछली पकड़ने पर 1 जुलाई से 31 अगस्त तक सख्त प्रतिबंध लागू है, जिसका उद्देश्य मछलियों के प्रजनन को बढ़ावा देना और जैव विविधता का संरक्षण करना है। इसके बावजूद सुबह और शाम के समय नावों में बैठे मछुआरे खुलेआम जाल डालते देखे जाते हैं। पकड़ी गई मछलियां आसपास के बाजारों और ग्रामीण इलाकों में ऊंचे दामों पर बेची जा रही हैं, जिससे अवैध मछली शिकार का धंधा फल-फूल रहा है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यदि इस अवैध गतिविधि पर तत्काल रोक नहीं लगाई गई, तो यमुना नदी की कई स्थानीय मछली प्रजातियां विलुप्ति के कगार पर पहुंच सकती हैं। पर्यावरणविदों और स्थानीय निवासियों ने प्रशासन की कथित चुप्पी पर चिंता जताई है। उनका आरोप है कि यह अवैध शिकार कोई नया मामला नहीं है, बल्कि लंबे समय से बेखौफ जारी है।
स्थानीय लोगों ने मांग की है कि वन विभाग और पुलिस प्रशासन इस गंभीर समस्या पर प्रभावी कार्रवाई करें और दोषियों के खिलाफ सख्त कदम उठाएं, ताकि यमुना की जैव विविधता और पारिस्थितिकी संतुलन को बचाया जा सके।


अब देखना यह है कि प्रशासन इस पर्यावरणीय संकट पर कब तक ठोस कदम उठाता है और यमुना नदी को अवैध मछली शिकार से मुक्त कराता है।
पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि यह शिकार नदी के इकोसिस्टम को तबाह कर रहा है।
प्रतिबंधों का उद्देश्य था प्रजातियों का संरक्षण व प्रजनन
लेकिन जब कानून को माफिया और प्रशासन दोनों तोड़ रहे हों, तो सवाल उठता है — क्या हम अपने बच्चों को सिर्फ मछलियों की तस्वीरें ही दिखाएंगे?
प्रशासन पर गंभीर सवाल:
क्या वन विभाग और पुलिस को इस धंधे की जानकारी नहीं?या फिर मिलीभगत के तहत आंखें मूंद ली गई हैं?
क्यों नहीं हो रही सख्त कार्रवाई, जबकि पूरा गांव जानता है सच?

👥 स्थानीय लोगों का कहना है –
“यह नया नहीं, सालों से चल रहा है। अगर प्रशासन चाहता, तो अब तक यह बंद हो चुका होता।
अविलंब छापेमारी हो
दोषियों पर मुकदमा चले
यमुना की जैवविविधता को बचाने के लिए विशेष टास्क फोर्स गठित हो

“जहां कानून रक्षकों की चुप्पी ही अपराध की ढाल बन जाए, वहां पर्यावरण सिर्फ नारे बनकर रह जाता है।
यमुना की मछलियां नहीं, हमारी संवेदना मारी जा रही है
INF न्यूज ब्यूरो चीफ रणविजय सिंह

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