ई.म.टी. की सूझबूझ से बची बच्चे की जान

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ई.म.टी. की सूझबूझ से बची बच्चे की जान। नि:शुल्क 108 एंबुलेंस सेवा बन रही वरदान

रिपोर्ट – सिद्धार्थ शुक्ला बस्ती

बस्ती। जीवनदायनी कहीं जाने वाली नि:शुल्क 108 एम्बुलेंस ने फिर से साबित कर दिया कि वह आम जनमानस के लिए कितनी लाभदायक है। बीते दिन रमेश कुमार जिनके 12 साल के भांजे अजय कुमार की तबीयत काफी खराब हो गई थी। जो कि बुखार से बार-बार बेहोश हो जा रहा था। हालत खराब देखकर उन्होंने अपने साधन से मेडिकल कॉलेज बस्ती में भर्ती कराया।
जहां बच्चों की हालत गंभीर देखते हुए उसे बीआरडी मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर कर दिया गया। तभी वहां से उन्हें 108 एंबुलेंस के बारे में पता लगा। तत्काल रमेश कुमार जी ने 108 पर फोन लगाया कुछ ही समय में उनको एंबुलेंस उपलब्ध हो गयी। एंबुलेंस में उपस्थित ई.म.टी. तिलकराम और पायलट बृजेश ने बच्चे को गाड़ी में शिफ्ट किया और तत्काल मेडिकल कॉलेज गोरखपुर के लिए निकल गये। रास्ते में अचानक अजय कुमार की तबीयत और खराब होने लगी। एंबुलेंस कर्मचारी बच्चों की हालत को अच्छी साथी उपलब्ध उपकरण से उसकी जांच की, उसके बाद 108 की ई.आर.सी.पी.पर उपलब्ध डॉक्टर की सहायता ली। डॉक्टर द्वारा ऑक्सीजन और कुछ दवाइयां का सुझाव दिया गया। जिसके द्वारा उसका प्राथमिक उपचार किया गया।


यह देखकर लाभार्थी बताया।
“मैं रमेश कुमार 108 की सर्विस से बहुत संतुष्ट हूं मेरे भांजे को कैली अस्पताल बस्ती से रेफर कर दिया गया था बीआरडी मेडिकल कॉलेज गोरखपुर के लिए। 12 साल का मेरी बहन का लड़का था,बुखार की वजह से वह बेहोश हो गया था। 108 के जो एंबुलेंस के अधिकारी थे,उन लोगों ने मेरी काफी अच्छी मदद की मेरे मरीज की जांच वगैरह सब करके लेकर के गए बोतल भी चढ़ाया और काफी अच्छा से ले गए, वहां भर्ती कराया और कहीं रास्ते में रुके भी नहीं। अच्छे से सेवा की, जिससे हमारा भांजा अभी ठीक है और मेरे भांजे की जान बच गई। मैं 108 एंबुलेंस की सहायता से बहुत संतुष्ट हूं और में उपस्थित अधिकारी को और सरकार को लाख-लाख धन्यवाद देता हूं उनकी वजह से आज मेरे भांजा ठीक है।”
यह देखते हुए प्रोग्राम मैनेजर राजन विश्वकर्मा 108 एंबुलेंस सेवा बस्ती ने बताया कि दोनों एंबुलेंस कर्मियों की तत्परता और सूझबूझ को जिला स्तर पर प्रोत्साहित करते हुए,पुरस्कृत करने का निर्णय लिया है। भविष्य में भी आम जनमानस के लिए हम इसी प्रकार की सेवा देने के लिए सदैव तत्पर रहेंगे।

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