बिजली विभाग का अजीब खेल करोड़ों की चोरी पकड़ने वालो को मिला तबादला

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करोड़ों रुपये की बिजली चोरी पकड़ने वाले जिन अभियंताओं को पहले प्रशस्ति पत्र दिया गया, अब उन्हें न सिर्फ चोरी पकड़ने से रोका जा रहा है बल्कि तबादले का पत्र भी थमा दिया गया है। इतना ही नहीं, मुख्य अभियंताओं के होने के बाद भी अधीक्षण अभियंताओं को मुख्य अभियंता का चार्ज सौंप दिया गया है। इस पूरे प्रकरण को लेकर बुधवार को पावर ऑफिसर एसोसिएशन की बैठक हुई। इसमें प्रबंधन की कार्यप्रणाली पर नाराजगी जताई गई। चेतावनी दी गई कि प्रबंध तंत्र ने मनमानी नहीं रोकी तो एसोसिएशन आंदोलन शुरू करेगा।


एसोसिएशन की प्रांतीय कार्यकारिणी की लखनऊ स्थित फील्ड हॉस्टल में हुई बैठक में पश्चिमांचल का मुद्दा जोरशोर से उठा। बताया गया कि अधिशासी अभियंता (रेड) धीरेंद्र कुमार किडनी रोग से ग्रसित हैं। उन्होंने दो साल में 30 करोड़ रुपये की बिजली चोरी पकड़ी। विभाग ने उन्हें 15 अगस्त को प्रशस्ति पत्र दिया। अब उन्हें बिजली चोरी पकड़ने से न सिर्फ रोका जा रहा है बल्कि जांच जारी रखने पर रामपुर तबादला कर दिया गया है।

इसी तरह मध्यांचल में संडीला में लगभग चार करोड़ की बिजली चोरी पकड़ने वाले अधिशासी अभियंता अजय कनौजिया के खिलाफ भी साजिश रची जा रही है। यही स्थिति अन्य दलित अभियंताओं के साथ भी है। अभियंताओं ने इस कार्रवाई की निंदा करते हुए कहा कि इससे बिजली चोरी रोकने में लगे अभियंताओं में निराशा पैदा होगी। कई दलित अभियंताओं को मनमानी तरीके से ट्रांसमिशन से वितरण में संबद्ध किया जा रहा है, इसकी भी वजह स्पष्ट की जाए।

बैठक के दौरान विभिन्न विद्युत वितरण निगमों में मुख्य अभियंता होते हुए भी कुछ अधीक्षण अभियंताओं को मुख्य अभियंता का चार्ज देने की निंदा की गई। मांग की गई कि यह कार्रवाई रोकी जाए अन्यथा पावर ऑफिसर एसोसिएशन मुख्यमंत्री और ऊर्जा मंत्री से मिलकर पूरे मामले में दस्तावेज उपलब्ध कराएगा।

बैठक में अभियंताओं ने कहा कि पड़ताल के समय एसोसिएशन से जुड़े हर अभियंता ने अतिरिक्त काम किया था। दलित अभियंताओं 18 से 24 घंटे काम करके प्रदेश की बिजली व्यवस्था बनाए रखने में अपना योगदान दिया, लेकिन प्रबंधन उनके खिलाफ जातीय विद्वेष की भावना से कार्य कर रहा है। तय किया गया कि प्रबंधन ने यह भावना नहीं छोड़ी तो संगठन वैधानिक तरीके से आंदोलन चलाने के लिए विवश होगा।

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