मालगाड़ी की चपेट में आने से चाची और भतीजे की मौत

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कानपुर देहात में अंबियापुर-रूरा रेलवे स्टेशन के बीच डीएफसी रेल लाइन पर शुक्रवार सुबह मालगाड़ी की चपेट में आने से चाची और भतीजे की मौत हो गई। खेतों के लिए निकले ग्रामीणों ने जब दोनों के शव देखे, तो परिजनों को जानकारी दी। घटना से परिजनों में कोहराम मच गया। वहीं, सूचना पर रूरा थाना पुलिस पहुंची, लेकिन परिजनों ने शवों का पोस्टमार्टम कराने से इंकार कर दिया।
पुलिस घटना की जांच पड़ताल कर रही है। रूरा थाना क्षेत्र के सराया निवासी कल्लू कठेरिया की पत्नी रानी (40) और उसके भतीजे कृष्णा (8) का शव गांव के सामने डीएफसी के अप ट्रैक पर किमी नंबर 1054 के 4 व 6 के बीच पड़े मिले। लोगों ने मालगाड़ी की चपेट में आने से हादसे की आशंका जताई। सूचना मिलने पर मौके पर पहुंचे परिजन शव लेकर गांव आए।

इस बीच किसी ने पुलिस को सूचना दे दी। सुबह 10 बजे के बाद सिठमरा चौकी प्रभारी जसवीर सिंह गांव पहुंचे और हादसे की जानकारी ली। परिजनों ने पुलिस को बताया कि पत्नी भतीजे के साथ सुबह छह बजे के करीब शौच के लिए गईं थी। काफी देर तक नहीं लौटने पर गांव के लोगों से हादसे की जानकारी हुई।
भाई गंगा के परिवार में पत्नी रोशनी के अलावा उसके साथ चार पुत्र प्रांशु, शिवम, गोविंद, कृष्णा व पुत्री मुस्कान है। कृष्णा व रानी की मौत के बाद परिवार के लोग बिलखते रहे। थाना प्रभारी अजय कुमार पाठक ने बताया कि परिजन ने शवों का पोस्टमार्टम कराने से इंकार किया है। पुलिस उन्हें पोस्टमार्टम कराने के लिए समझा रही है।
मालगाड़ी की चपेट में आने से चाची और भतीजे की मौत के बाद गांव में मातम छाया रहा। परिवार के लोग के साथ ही पड़ोस के लोग बिलखते रहे। कल्लू कठेरिया ने बताया कि कृष्णा उसका भतीजा था, लेकिन वह उसकी पत्नी का सबसे दुलारा था। शुक्रवार सुबह ही वह जल्दी घर आ गया था। रानी जब शौच के लिए जाने लगी, तो कृष्णा भी साथ जाने की जिद करने लगा। मां रोशनी ने रोकने का प्रयास किया लेकिन रानी उसे साथ लेकर चली गई।

रेलवे लाइन किनारे गांवों में अक्सर होते हैं हादसे
सराय, जगदीशपुर, गढ़ेवा भारापुरवा सहित लगभग आधा दर्जन गांव रेलवे लाइन के किनारे स्थित हैं। इन गांवों के लोग रेलवे लाइन पार करके शौच, खेती किसानी आदि के कार्यों के लिए आते-जाते हैं। भाजपा नेता शिवा पांडेय बताते हैं कि इन गांवों के लोगों के रेलवे लाइन पार करके आने-जाने से अक्सर दुर्घटनाएं होती हैं। रेल अधिकारियों से कई बार ग्रामीणों ने अंडरपास बनवाने की मांग की लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।

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