अच्छा क्रिकेटर रहा मनबढ़ किस्म का मुख्तार 80 के दशक में साधु-मकनू गिरोह से जुड़ा।

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मुख्तार अंसारी की कहानी: क्रिकेट के अच्छे खिलाड़ियों में होती थी गिनती, 80 के दशक में साधु-मकनू गिरोह से जुड़ा
एक अच्छा क्रिकेटर रहा मनबढ़ किस्म का मुख्तार 80 के दशक में साधु-मकनू गिरोह से जुड़ा। साधु और मकनू को अपना गुरु मानकर जरायम जगत की बारीकियों को समझा और धीरे-धीरे खुद का अपना गैंग खड़ा कर माफिया सरगना बन गया
गाजीपुर के पीजी कॉलेज से स्नातक का छात्र रहा मुख्तार अंसारी की गिनती कभी क्रिकेट के अच्छे खिलाड़ियों में हुआ करती थी। मनबढ़ मुख्तार अंसारी को गलत संगत ने जरायम जगत की गंदी राह की ओर धकेल दिया। बाहुबल से बनाई गई सियासी जमीन पर मुख्तार लगातार पांच बार विधायक चुना गया। तकरीबन 18 साल छह माह जेल में रहने के बाद सलाखों के पीछे ही बृहस्पतिवार की रात मुख्तार अंसारी की मौत हो गई।
मुख्तार अंसारी का जन्म 20 जून 1963 को नगर पालिका परिषद मुहम्मदाबाद के पूर्व चेयरमैन सुबहानुल्लाह अंसारी के तीसरे पुत्र के रूप में हुआ था। मुख्तार के दादा मुख्तार अहमद अंसारी स्वतंत्रता सेनानी थे। महात्मा गांधी के सहयोगी रहते हुए वह 1926-27 में कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे। नाना बिग्रेडियर उस्मान आर्मी में थे और उन्हें उनकी वीरता के लिए महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था। देश के पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी भी मुख्तार अंसारी के रिश्ते के चाचा हैं।


एक अच्छा क्रिकेटर रहा मनबढ़ किस्म का मुख्तार 80 के दशक में साधु-मकनू गिरोह से जुड़ा। साधु और मकनू को अपना गुरु मानकर जरायम जगत की बारीकियों को समझा और धीरे-धीरे खुद का अपना गैंग खड़ा कर माफिया सरगना बन गया। वर्ष 1997 में मुख्तार अंसारी का अंतरराज्यीय गिरोह (आईएस-191) पुलिस डोजियर में दर्ज किया गया। 25 अक्तूबर 2005 को मुख्तार जेल की सलाखों के पीछे गया तो फिर बाहर नहीं निकल पाया। इस बीच वर्ष 1996 से 2022 तक वह मऊ सदर विधानसभा से पांच बार लगातार विधायक चुना गया।
26 महीने रोपड़ जेल में रहा था वापस लाने के लिए सुप्रीम कोर्ट तक पहुंची थी यूपी सरकार
मुख्तार पर जनवरी, 2019 को मोहाली के एक बिल्डर की शिकायत पर पुलिस ने अंसारी के खिलाफ 10 करोड़ की रंगदारी मांगने का केस दर्ज किया गया था। मोहाली पुलिस मुख्तार अंसारी को प्रोडक्शन वारंट पर उत्तर प्रदेश से मोहाली लाई थी। उसे न्यायिक हिरासत में रोपड़ जेल भेज दिया गया था। वह 26 महीने तक रोपड़ जेल में रहा। दो साल में उत्तर प्रदेश पुलिस की टीम आठ बार अंसारी को लेने पंजाब गई, लेकिन हर बार सेहत, सुरक्षा और कोरोना का कारण बताकर पंजाब पुलिस ने सौंपने से इनकार कर दिया। कानपुर में बिकरू कांड के आरोपी विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद अंसारी ने भी जान का खतरा बताया था। वहीं, विपक्ष ने आरोप लगाया था कि पंजाब में उसे जेल में सुविधाएं दी जा रही हैं। आखिरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उसे यूपी की बांदा जेल में िशफ्ट किया गया था।

2021 में मुख्तार को बांदा जेल में शिफ्ट किया गया। जेल में उस पर 24 घंटे सीसीटीवी कैमरों से निगरानी रखी जाती। रिश्तेदारों से मिलने पर रोक लगा दी गई। सख्ती इतनी थी कि जेल में मुख्तार पर नरमी बरतने वाले डिप्टी जेलर वीरेश्वर प्रताप सिंह को सस्पेंड किया जा चुका है।

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