हाई टेंशन तार की चपेट में आने से आग का गोला बनी बस

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गाजीपुर जिले के महहार धाम से 400 मीटर पहले नहर किनारे करंट प्रवाहित एचटी तार के संपर्क में आने के पहले बस गड्ढे में फंस गई थी। इसके बाद चालक ने गड्ढे में से बस को निकालने के लिए आगे-पीछे किया तो हल्की सी बस उछल गई थी, ठीक इसी समय दोपहर 1.46 बजे करंट प्रवाहित तार बस के छत से फंस गई और देखते ही देखते पूरी बस आग का गोला बन गई और पांच लोगों की मौत हो गई।
हादसे के समय दुल्हन को उसकी मां ने धक्का दे दिया था, जिससे उसकी जान बच गई। बस में शामिल पवन कुमार दूसरे दिन भी खौफजदा दिख रहा था। उसने बताया कि पहले जब सब लोग कूद रहे थे तो मैं भी कूद पड़ा। दो मिनट तक करंट की चपेट में था लेकिन, इसके बाद नीचे गिर पड़ा।


वहीं, संगीता हादसे के वक्त का दृश्य याद कर विचलित हो जा रही थी। उसने कहा कि मैं एक बेटी को घर छोड़कर आई थी। हादसे के समय कुछ समझ में नहीं आ रहा था। वह बच्चों को बचाने के लिए अपनी मासूम बेटी तान्या को गेहूं के खेत में फेंककर अपने दोनों बच्चों आर्यन और अंश को लेकर कूद गई थी और जान बचा ली। हालांकि वह और उसके दोनों बच्चे झुलस गए हैं।
वहीं, संगीता की बहन कंचन भी बस में सवार थी, जिसने बताया कि पुलिस ने पक्की सड़क से जाते समय रोक दिया था और इधर से जाने को कहा था। चालक कच्ची सड़क से बस लेकर जा रहा था कि रास्ते में ही बस गड्ढे में फंस गई। इसके बाद चालक ने बस को आगे-पीछे रफ्तार में किया तो लटक रहे तार बस के ऊपर फंस गए, जिसके बाद चिंगारी निकलने लगी और लोग कूदकर भागने की कोशिश करने लगे।


शादी समारोह के लिए जा रहे लोगों की बस में आग लगने से जिन महिलाओं की जलकर मौत हुई थी, उन महिलाओं की पहचान उनके गहनों से की गई। परिजनों ने किसी के पायल, बिछिया तो किसी के कान के टप्स से शव का शिनाख्त किया।
मृतकों की पायल, बिछिया, टप्स, कंगन और मंगलसूत्र से पहचान कर परिजन दहाड़े मारकर बिलख उठे। देर रात करीब तीन बजे तक पांचों शवों का तीन सदस्यीय डॉक्टरों की टीम ने पोस्टमार्टम किया। वहीं मृत चार शवों के डीएनए टेस्ट के लिए सैंपल सुरक्षित किया गया। देर रात बस चालक का परिजनों ने श्मशान घाट पर अंतिम कर दिया। जबकि अन्य शवों को शव वाहन से उनके घर तक पहुंचाया गया।
हादसे की जानकारी होते ही पोस्टमार्टम टीम ने तैयारियां पूरी कर ली। इधर, पुलिस प्रशासन की टीम शवों का पोस्टमार्टम कराने के लिए कागजी कार्रवाई में जुट गई। रात करीब 10.30 बजे तक तीन शव पोस्टमार्टम हाउस आ गए थे, लेकिन पुलिस की कागजी कार्रवाई पूर्ण नहीं हो सकी थी।


इधर, मर्चरी हाउस में रखे दो शव पूरी तरह से जल चुके थे, शिनाख्त होने पर पोस्टमार्टम हाउस लाया गया। जिला और पुलिस प्रशासन की देखरेख में रात करीब 11.30 बजे डॉक्टरों की तीन सदस्यीय टीम ने पोस्टमार्टम शुरू किया। पोस्टमार्टम रात करीब तीन बजे तक चलता रहा है। शवों का पोस्टमार्टम कर रहे डॉक्टरों की भी रूह कांप उठी। इस दौरान बस चालक जगरनाथ यादव की पूर्णत: शिनाख्त होने पर सैंपल डीएनए टेस्ट के लिए नहीं रखा गया। शव परिजनों को सुपुर्द कर दिया गया।

 

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