शिक्षा सेवा चयन आयोग का गठन न होने पर 13.19 लाख अभ्यर्थियों को भर्ती शुरू होने का इंतजार

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शिक्षा आयोग : समय से होतीं भर्तियां तो भर जाते 41 हजार पद, परीक्षा योजना के फेर में भी अटकी चयन प्रक्रिया
अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक (टीजीटी) और प्रवक्ता पीजीटी के 4163 पदों पर भर्ती के लिए अगस्त 2022 में आवेदन की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है लेकिन शिक्षा सेवा चयन आयोग का गठन न होने 13.19 लाख अभ्यर्थियों को भर्ती शुरू होने का इंतजार है।
अगर भर्तियां समय से होतीं तो उत्तर प्रदेश के विभिन्न विभागों में 41 हजार पद भर गए होते। इनमें से 99 फीसदी पद तो केवल शिक्षा विभाग के हैं। कहीं नए शिक्षा सेवा चयन आयोग के गठन के इंतजार में भर्ती अटकी रह गई तो कहीं पाठ्यक्रम, नियमावली, परीक्षा योजना और समकक्ष अर्हता भर्ती के आगे बाधा बनकर खड़ी हो गई
अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक (टीजीटी) और प्रवक्ता पीजीटी के 4163 पदों पर भर्ती के लिए अगस्त 2022 में आवेदन की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है लेकिन शिक्षा सेवा चयन आयोग का गठन न होने 13.19 लाख अभ्यर्थियों को भर्ती शुरू होने का इंतजार है। पिछले दिनों उच्च शिक्षा मंत्री ने विधानसभा में एक सवाल के जवाब में बताया कि अशासकीय माध्यमिक विद्यालयों में टीजीटी के 20465 और पीजीटी के 4384 पद रिक्त हैं। ये पद अभी विज्ञापित नहीं हुए हैं।


प्रतियोगी छात्र संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष विक्की खान का कहना है कि अगर समय रहते शिक्षा सेवा चयन आयोग का गठन हो जाता तो लोकसभा चुनाव से पहले टीजीटी-पीजीटी के 28585 पद भी भर गए होते। आयोग के गठन के इंतजार में अशासकीय महाविद्यालयों में भी भर्ती प्रक्रिया अटकी हुई है। असिस्टेंट प्रोफेसर के 1017 पदों पर भर्ती के लिए भी आवेदन की प्रक्रिया अगस्त 2022 में पूरी हो चुकी है। 1.14 लाख अभ्यर्थियों को परीक्षा तिथि घोषित होने का इंतजार है, जो शिक्षा सेवा चयन अयोग के गठन के बाद ही पूरा होगा।

प्रदेश में 331 अशासकीय महाविद्यालय हैं, जिनमें 21 अल्पसंख्यक महाविद्यालय हैं और इनमें असिस्टेंट प्रोफेसर के तकरीबन 200 पद रिक्त पड़े हैं। वहीं, अन्य अशासकीय महाविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर के लगभग 600 पद खाली हैं। प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के मीडिया प्रभारी प्रशांत पांडेय का कहना है कि दो साल से नए आयोग के गठन की प्रक्रिया चल रही है। अगर गठन समय पर हो जाता तो लंबित भर्तियों के साथ नए विज्ञापन जारी कर उनसे संबंधित भर्तियां भी अब तक पूरी ली गईं होतीं।

प्रदेश के राजकीय महाविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर के तकरीबन 600 पदों पर भर्ती प्रक्रिया स्क्रीनिंग परीक्षा की नियमावली के इंतजार में फंसी है। उच्च शिक्षा निदेशालय की ओर से दो चरणों में शासन के माध्यम से इन पदों पर भर्ती के लिए उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग को अधियाचन भेजा चुका है। वहीं, राजकीय विद्यालयों में सहायक अध्यापक (एलटी ग्रेड) के 6365 पदों पर भर्ती समकक्ष अर्हता निर्धारित न होने के कारण अटकी हुई है। दोनों ही भर्तियों में निर्णय शासन को लेना है। शासन से हरी झंडी मिलने के बाद ही आयोग इन पदाें के लिए विज्ञापन जारी करेगा। सहायक अध्यापक भर्ती की प्रक्रिया डेढ़ साल से अटकी हुई है।
प्रवक्ता और बीईओ भर्ती भी अटकी

राजकीय विद्यालयों में प्रवक्ता के 3957 पद खाली हैं। इनमें से तकरीबन चार सौ पदों का अधियाचन उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग को काफी पहले मिल चुका है। समकक्ष अर्हता निर्धारित न होने के कारण यह भर्ती भी अटकी हुई है। वहीं, कुछ माह पहले आयोग को खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) के तकरीबन 60 पदों पर भर्ती के लिए अधियाचन मिला था लेकिन इस भर्ती में भी समकक्ष अर्हता का पेच फंस गया।

उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग को सम्मिलित राज्य कृषि सेवा परीक्षा और सम्मिलित राज्य अभियंत्रण सेवा भर्ती के लिए तकरीबन 300 पदों का अधियाचन पिछले साल ही मिल चुका है। ये दोनों भर्तियां शुरू करने के लिए आयोग को परीक्षा योजना एवं पाठ्यक्रम के संदर्भ में शासन से मंजूरी मिलने का इंतजार है।
भर्तियों के इंतजार में हो गए ओवरएज

हर साल बड़ी संख्या में अभ्यर्थी ओवरएज हो जाते हैं और उनके लिए भविष्य के रास्ते भी बंद हो जाते हैं। राज्य कृषि सेवा सेवा भर्ती का पिछला विज्ञापन वर्ष 2020 में जारी किया गया था। राजकीय विद्यालयों में सहायक अध्यापक भर्ती के लिए 2018 में विज्ञापन आया था। वर्ष 2019 के बाद बीईओ के पदों पर भर्ती नहीं आई।

अपर निजी सचिव (एपीएस) भर्ती-2013 विवाद के कारण बीच में ही निरस्त कर दी गई। एक दशक बाद वर्ष 2023 में एपीएस के पदों पर भर्ती निकली। ऐसे ही कई अन्य भर्तियों का भी प्रतियोगी छात्रों को पिछले चार-पांच वर्षों से इंतजार है। युवा मंच के अध्यक्ष अनिल सिंह का कहना है कि अगर भर्तियां हर साल नियमित अंतराल में आती रहें तो ओवरएज होकर सरकारी नौकरी से हमेशा के लिए वंचित रह जाने वाले अभ्यर्थियों को भी पर्याप्त अवसर मिल सकेंगे।

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