लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए समानता का कानून अनिवार्य

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1 देश 1 कानून विशेष, 1 अनिवार्य उपयोगी कानून का सपना कब होगा पूरा? आर के पाण्डेय एडवोकेट

— लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए समानता का कानून अनिवार्य।

रिपोर्ट – सिद्धार्थ शुक्ला बस्ती

प्रयागराज। वरिष्ठ समाजसेवी अधिवक्ता आर के पाण्डेय एडवोकेट ने 76 वर्ष की लोकतांत्रिक व्यवस्था के बाद एक गंभीर प्रश्न उठाते हुए पूरे देश से और विशेष रूप से कार्यपालिका, विधायिका, न्यायपालिका से पुछा है कि इस देश में एक समान अनिवार्य कानून क्यों नहीं है?


उपरोक्त के बावत आर के पाण्डेय एडवोकेट ने विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका, सामाजिक संगठन व देशवासियों से एक सीधा प्रश्न किया है कि आखिर देश में 1 कानून, 1 उपयोगी अनिवार्य कानून में समस्या क्या है? उन्होंने कहा कि देश में तमाम बड़े-बड़े तथाकथित धनाढ्य, संपन्न, सक्षम लोग धन के बल पर न्याय की उम्मीद करते हैं परंतु इसी देश में एक बहुत बड़ा वर्ग जो निर्धन बेसहारा गरीब लोगों का है वह धन, संसाधन व जानकारी के अभाव में न्याय नहीं प्राप्त कर पाता। कुछ लोगों की एफआईआर फोन पर दर्ज हो जाती है जबकि कुछ लोग महीनों और सालों कोर्ट के चक्कर लगाते रहते हैं तब भी उनके एफआईआर तक दर्ज नहीं होती है फिर न्याय में समानता की बात हम कैसे कर सकते हैं? हाई कोर्ट इलाहाबाद के वरिष्ठ समाज सेवी अधिवक्ता आर के पाण्डेय ने पूरे देश के समक्ष एक बड़ा सवाल उठाया है कि आखिर हम 1 कानून 1 व्यवस्था देने में नाकाम क्यों हैं? उन्होंने मांग किया है कि 1 राष्ट्र 1 कानून 1 उपयोगी अनिवार्य कानून तुरंत न्याय के हित में समानता का कानून अनिवार्य है।

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