लोकसभा चुनाव के अंतिम रण में ,नारद राय के जरिए पूर्वांचल में मतों को साधने में जुटी भाजपा

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नारद राय के जरिए पूर्वांचल में भूमिहार मतों को साधने में जुटी भाजपा, कई सीटों पर है भूमिहार जाति का प्रभाव
पूरब के आधे दर्जन से अधिक सीटों पर भूमिहार जाति का प्रभाव है। जिसे साधने के लिए भाजपा ने नारद राय को पार्टी में लेने का निर्णय लिया है। नारद राय लंबे समय से हाशिये पर पड़े थे।
लखनऊ लोकसभा चुनाव के अंतिम रण में किसके हिस्से में कितनी सीटें आएंगी यह 4 जून को तय होगा, लेकिन इससे पहले सपा के बड़े भूमिहार चेहरे नारद राय को अपने पाले में लाकर भाजपा ने सपा को तगड़ा झटका दिया है। ऐन मौके पर भाजपा के इस दांव को सिर्फ बलिया ही नहीं, बल्कि पूरब की आधा दर्जन लोकसभा सीटों पर भूमिहार मतों को साधने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि नारद का यह सियासी फैसला मौजूदा समय में हो रहे लोकसभा चुनाव में कई सीटों पर सीधा असर डालेगा।
दरअसल, पूर्वांचल में भूमिहार चेहरा रहे मनोज सिन्हा के सक्रिय राजनीति से हटने और सांविधानिक पद संभालने के बाद से ही भाजपा को इस इलाके में एक बड़े भूमिहार चेहरे की तलाश थी। वहीं, सपा में पारिवारिक कलह के दौरान ही हांसिये पर धकेले गए पूर्व मंत्री नारद को भी एक बड़े सियासी ठौर की जरूरत थी। इसी जरूरत को पूरा करने के लिए नारद पिछले एक साल से भाजपा के संपर्क में थे। हालांकि उनके भाजपा में आने का रास्ता तब साफ हुआ, जब लोकसभा चुनाव के अंतिम रण में भाजपा को भूमिहार चेहरे की जरूरत महसूस हुई। लिहाजा वाराणसी पहुंचे गृहमंत्री अमित शाह ने नारद से मुलाकात के बाद उन्हें भाजपा में शामिल करने को हरी झंडी दे दी।


बता दें कि भूमिहार समाज का पूर्वांचल की कई सीटों पर अच्छा-खासा प्रभाव है। इनमें बलिया, गाजीपुर, आजमगढ़, मऊ, वाराणसी, जौनपुर, देवरिया, महाराजगंज, गोरखपुर और संत कबीर नगर सीटें शामिल हैं। छात्र राजनीति से अपना सियासी सफर शुरू करने वाले नारद को संगठन और रणनीति तैयार करने का अच्छा अनुभव है। नारद के आने से गाजीपुर के मुहम्मदाबाद विधानसभा क्षेत्र के 70 हजार से अधिक भूमिहार मतदाताओं को भी सहेजने में मदद मिलेगी। ऐसे में बालिया के साथ गाजीपुर सीट पर भी नारद का असर दिखेगा।

नीरज शेखर की राह हुई आसान
बता दें कि बलिया सीट से सपा ने ब्राह्मण चेहरे के तौर पर सनातन पांडेय को उतारा है। जबकि भाजपा उम्मीदवार नीरज शेखर राजपूत जाति के हैं। सनातन पांडेय के पक्ष में ब्राह्मण मतों के लामबंद होने की खबर से नीरज शेखर की राह मुश्किल होती देख भाजपा डैमेज कंट्रोल में जुट गई थी। माना जा रहा है कि नारद राय के भाजपा में आने से नीरज शेखर की राह आसान होगी
आज भाजपा में शामिल होंगे नारद और राम इकबाल
नारद राय और राम इकबाल सिंह बुधवार को बलिया के माल्देपुर में आयोजित अमित शाह की चुनावी सभा में भाजपा में शामिल होंगे। सोमवार को भाजपा के पुराने राजपूत चेहरे पूर्व विधायक राम इकबाल भी नारद के साथ अमित शाह से मिले थे। वह 2002 से 2007 तत्कालीन विधानसभा चिलकहर (अब रसड़ा) से दो बार विधायक रहे हैं। 2017 में राम इकबाल सपा में चले गए थे। अब फिर भाजपा में वापसी कर रहे हैं।

पूर्व सपा विधायक नारद राय का कहना है कि बहुत भारी और दुखी मन से सपा का 40 साल का साथ छोड़ दिया है। मेरी गलती यह है कि पारिवारिक विवाद में मैंने अखिलेश के बजाय मुलायम सिंह को चुना था। पिछले 7 सालों से अखिलेश लगातार मुझे बेइज्जत कर रहे थे। 2017 में मेरा टिकट काटा, 2022 में टिकट दिया, लेकिन साथ ही मेरे हारने का भी इंतजाम किया। अब मैं अपनी पूरी ताकत भाजपा को जिताने में लगाऊंगा।

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