सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कैदियों को बड़ी राहत

Estimated read time 0 min read

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कैदियों को बड़ी राहत, नए कानून के तहत मिलेगा इनको मिलेगी जमानत
यह आदेश सुप्रीम कोर्ट ने दिया है. यह उन मामलों पर लागू नहीं होगा, जिनमें आजीवन कारावास या मौत की सजा का प्रावधान है. इस आदेश से देहरादून, हल्द्वानी और हरिद्वार की जेलों को बड़ी राहत मिलेगी.
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है, जिसके तहत उत्तराखंड की जेलों में बंद उन विचाराधीन कैदियों को तत्काल जमानत पर रिहा किया जाएगा. जिन्होंने अपने मामले में संभावित अधिकतम सजा की एक तिहाई अवधि जेल में बिता ली है. यह प्रावधान भारतीय नागरिक न्याय संहिता (बीएनएनएस) की धारा 479 के तहत आता है. जिसे सुप्रीम कोर्ट ने पुराने कैदियों पर भी लागू करने का निर्देश दिया है. यह आदेश उन मामलों पर लागू नहीं होगा, जिनमें आजीवन कारावास या मौत की सजा का प्रावधान है.
इस आदेश के बाद उत्तराखंड की जेलों में, विशेष रूप से देहरादून, हल्द्वानी और हरिद्वार के कारागारों को बड़ी राहत मिलेगी, जहां क्षमता से अधिक कैदी बंद हैं. वर्तमान में, इन जेलों में कुल क्षमता से अधिक कैदी होने के कारण व्यवस्थाओं पर दबाव है और कैदियों को अमानवीय परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है. उदाहरण के तौर पर, देहरादून के जिला कारागार की कुल क्षमता 580 कैदियों की है, जबकि वहां 900 से अधिक विचाराधीन कैदी और 369 सजायाफ्ता कैदी बंद हैं. इसी प्रकार, हल्द्वानी और हरिद्वार की जेलों में भी क्षमता से अधिक कैदी हैं.


पुराने कानून यानी दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के तहत विचाराधीन कैदियों को यह लाभ तभी मिलता था, जब उन्होंने सजा की आधी अवधि जेल में बिता ली हो. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की सहमति से यह निर्णय लिया कि नए प्रावधान का लाभ पुराने कानून के तहत विचाराधीन कैदियों को भी दिया जाए. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, जेल अधीक्षकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनकी जेलों में कौन से विचाराधीन कैदी ऐसे हैं, जिन्होंने सजा की एक तिहाई अवधि जेल में बिता ली है. इसके बाद, उनकी जमानत अर्जी जिला न्यायालय में दाखिल की जाएगी.

More From Author

+ There are no comments

Add yours