शुक्र दिखेगा चमकीला, बृहस्पति बिखेरेगा रोशनी… 8 अप्रैल के पूर्ण सूर्य ग्रहण पर कैसा होगा आसमान का नजारा?
8 अप्रैल को साल का पहला सूर्य ग्रहण लगने वाला है और यह एक पूर्ण सूर्य ग्रहण होगा. इस दौरान सूरज पूर्ण रूप से चंद्रमा की छाया में छिप जाएगा. नासा की रिपोर्ट के मुताबिक, यह इकलौता ऐसा समय होता है जब ग्रहण को बिना किसी चश्मे या प्रोटेक्शन के देखा जा सकता है. 2024 के बाद सीधा 2044 में ही अमेरिका से ऐसा सूर्य ग्रहण देखने का मौका मिलेगा.आइए जानते हैं इस ग्रहण के दौरान आपको आसमान में क्या-क्या देखने का मौका मिलेगा.
सोमवार 8 अप्रैल को धरती के लोग एक दुर्लभ खगोलीय घटना के गवाह बनेंगे. दरअसल, इस दिन साल का पहला सूर्य ग्रहण लगने वाला है और यह एक पूर्ण सूर्य ग्रहण होगा. सूर्य ग्रहण तब होता है जब सूर्य और पृथ्वी के बीच से चंद्रमा गुजरता है. दूसरी ओर जब सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी एक सीध में आ जाते हैं तो वो पूर्ण सूर्य ग्रहण कहलाता है. इस बार का ग्रहण अमेरिका, कनाड़ा, इंग्लैंड, मैक्सिको, आयरलैंड में नजर आएगा. अमेरिका के समय के अनुसार पूर्ण सूर्य ग्रहण दोपहर सवा 2 बजे शुरू होगा
पूर्ण सूर्य ग्रहण अलग-अलग चरणों में संपन्न होता है, जिसमें से सबसे खास स्टेज होती है टोटेलिटी. इस वक्त चंद्रमा सूरज को इस तरह से ढक लेता है जिससे उसका कोई भी हिस्सा नजर नहीं आता. नासा की रिपोर्ट के मुताबिक, यह इकलौता ऐसा समय होता है जब ग्रहण को बिना किसी चश्मे या प्रोटेक्शन के देखा जा सकता है. बाकी समय सोलर एक्लिप्स चश्मों का इस्तेमाल सुझाया जाता है. आइए आज जानते हैं कि 8 अप्रैल को लगने वाले पूर्ण सूर्य ग्रहण के दौरान आपको आसमान में क्या-क्या देखने का मौका मिलेगा.
दिखेगा सूरज का अनदेखा हिस्सा
पूर्ण सूर्य ग्रहण में चांद धीरे-धीरे सूरज और धरती के बीच में आता है. इसके पहले फेज को आंशिक सूर्य ग्रहण कहते हैं, जिसमें सूरज आधे चांद के आकार का दिखता है. चांद जब सूरज को पूरी तरह ढक लेता है तो टोटेलिटी का दौर शुरू होता है. इसे सेकेंड काॅन्टेक्ट भी कहते हैं. टोटेलिटी में धरती से सूरज की क्रोमोस्फीयर (सौर वायुमंडल का एक क्षेत्र, जो चंद्रमा के चारों ओर गुलाबी रंग के पतले घेरे के रूप में दिखाई देता है) और कोरोना (बाहरी सौर वातावरण, सफेद लाइट के रूप में दिखाई देता है) नजर आता है. आम दिनों में सूरज की तेज चौंध में कोरोना दिखाई नहीं पड़ता है. कुछ जगहों पर टोटेलिटी का दौर केवल एक या दो मिनट तक रहेगा. इस वक्त हवा का तापमान गिर जाता है और अक्सर चारों ओर सन्नाटा छा जाता है.
पूर्ण सूर्य ग्रहण के दौरान पूरी तरह अंधेरा छा जाएगा?
आम राय है कि पूर्ण सूर्य ग्रहण के दौरान आसमान में चांदनी रात जितना अंधेरा हो जाता है. लेकिन ऐसा नहीं है. इस तरह के ग्रहण में लगभग उतना ही अंधेरा हो जाता है जितना सूर्योदय से लगभग 20 से 40 मिनट पहले या सूर्यास्त के 20 से 40 मिनट बाद होता है. आमतौर पर ऐसे आकाश में, वीनस यानी शुक्र ग्रह बहुत साफ दिखाई देता है. इसके अलावा सूर्य के निकट अन्य चमकीले तारे भी नजर आते हैं.
ग्रहण के समय शुक्र ग्रह साफ और चमकता हुआ दिखाई देगा. वीनस के बाद आसमान में दूसरा सबसे चमकीला ग्रह जुपिटर होगा, जो सोलर सिस्टम का सबसे बड़े ग्रह भी है. इनके अलावा शनि और मंगल जैसे ग्रहों को भी आसानी से देखे जाने की संभावना है. तारों में दिलचस्पी रखने वालों के लिए भी यह एक खास मौका होगा. इस दौरान सीरियस नजर आ सकता है, पृथ्वी की रात के आकाश का सबसे चमकीला तारा है.
वैज्ञानिकों के लिए गोल्डन चांस, पतंग से करेंगे सूरज का अध्ययन
सिर्फ आम जनता के लिए ही नहीं, बल्कि चंद मिनटों के लिए होने वाला पूर्ण सूर्य ग्रहण वैज्ञानिकों के लिए किसी गोल्डन चांस से कम नहीं है. अमेरिका की स्पेस एजेंसी नासा इस दौरान कई सारे रिर्सच प्रोजेक्ट्स लाॅन्च करेगी और सूरज के कोरोना का अध्ययन करेगी. इनमें से एक प्रोजेक्ट में पतंग के जरिए स्पेक्ट्रोमीटर मशीन को 3,500 फीट ऊपर उड़ाया जाएगा. इतनी ऊंचाई से यह फायदा है कि जमीन पर मौसम की स्थिति खराब होने पर भी सूर्य को स्पष्ट रूप से देखने का बेहतर मौका मिलेगा. स्पेक्ट्रोमीटर का डेटा यह समझने में मदद करेगा कि कैसे कोई कण कोरोना के माध्यम से सूर्य से बचकर सौर हवा बनाते हैं. सौर हवा कणों का एक प्रवाह है जो लगभग 10 लाख मील प्रति घंटे की गति से सूर्य से आती है और पूरे सौर मंडल में यात्रा करती है.
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