कानपुर की हवा हुयी जहरीली

1 min read

प्रदूषण बढ़ने पर नाइ्ट्रस ऑक्साइड और सूक्ष्म कण बड़ी संख्या में जाकर फेफड़े के आखिरी हिस्से एलवियोलाई में जाकर चिपक जाते हैं। इससे सूजन आती है। फेफड़ों से हृदय में रक्त का आना-जाना प्रभावित होता है।
कानपुर में प्रदूषण सांस तंत्र के अलावा दिल पर भी भारी पड़ रहा है। कार्डियोलॉजी इंस्टीट्यूट की इमरजेंसी में सांस फूलने, छाती पर भारीपन और एंजाइना के दर्द के रोगी आने लगे हैं। ब्लड प्रेशर अनियंत्रित हो जा रहा है। हार्ट अटैक से एक रोगी की मौत हो गई। हृदय रोग विशेषज्ञों का कहना है कि फेफड़े और हृदय की खराबी का एक-दूसरे पर असर पड़ता है।


यह सलाह भी दी है कि इस मौसम में सिगरेट कतई न पिएं। पैसिव स्मोकिंग भी एक्टिव स्मोकिंग जितनी खतरनाक होती है। नवाबगंज के रहने वाले हृदय रोगी अखिलेश (55) की हार्ट अटैक से मौत हो गई। हालत बिगड़ने पर परिजन कार्डियोलॉजी लेकर आए। लेकिन जांच के बाद डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

हैलट ओपीडी में बढ़े हुए ब्लड प्रेशर वाले रोगी आए। कार्डियोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. उमेश्वर पांडेय ने बताया कि प्रदूषण से सांस तंत्र पर असर आने से हृदय भी प्रभावित होता है। इससे ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस हो जा रहा है। प्रदूषण के सूक्ष्म तत्वों के शरीर में भर जाने से यह स्ट्रेस पैदा होता है।
इसे कहते हैं ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस

IMAGE SOURCE : PTI

प्रदूषण बढ़ने पर नाइ्ट्रस ऑक्साइड और सूक्ष्म कण बड़ी संख्या में जाकर फेफड़े के आखिरी हिस्से एलवियोलाई में जाकर चिपक जाते हैं। इससे सूजन आती है। फेफड़ों से हृदय में रक्त का आना-जाना प्रभावित होता है। इसके साथ ही ठंड से नसों में सिकुड़न आती है। इससे शरीर में स्ट्रेस बढ़ता है। इसे ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस कहते हैं।

You May Also Like

More From Author

+ There are no comments

Add yours