पांच की दर्दनाक मौत: पटाखों से बेकाबू हुई आग, सिलिंडर फटने से दहला इलाका और सबकुछ तहस-नहस हो गया, तस्वीरें
लखनऊ काकोरी के हाता हजरत साहब इलाके में मंगलवार रात एक दो मंजिला इमारत में आग लग गई। आग लगते ही सिलिंडर में धमाका हुआ। हादसे में दंपती समेत पांच लोगों की मौत हो गई। इसमें तीन मासूम बच्चे भी शामिल हैं। सूचना पर पुलिस और दमकलकर्मियों ने करीब डेढ़ घंटे में आग पर काबू पाया। आग में झुलसे चार लोगों को रेस्क्यू कर ट्रामा में भर्ती कराया। इन चारों की भी हालत गंभीर है।
आग और सिलिंडरों में धमाकों की घटना इतना भयानक थी कि कमरे की छत व दीवारें ढह गईं। धमाकों की आवाज दूर तक लोगों को सुनाई पड़ी। गांव के लोग घरों से निकले तो मुशीर का घर लपटों से घिरा देख सन्न रह गए। देखते ही देखते सैकड़ों लोगों की भीड़ जुट गई।
ग्रामीणों के अनुसार मुशीर पटाखा बेचने का काम करते थे। उनके घर में पटाखे रखे थे। कमरे में लगी आग कुछ ही देर में पटाखों तक पहुंच गई और फिर आग ने विकराल रूप धारण कर लिया। पटाखों में विस्फोट के साथ ही कमरे में रखे दो सिलिंडर भी तेज धमाकों के साथ फट गए। धमाके इतनी तेज थे कि दूर तक लोगों को आवाज सुनाई पड़ी। रात के वक्त घर में सो रहे लोग धमाकों से दहल गए। कुछ ही देर में मुशीर के घर के बाहर भीड़ जुट गई।
मुशीर के मकान का काफी हिस्सा ढह चुका था। छत व दीवार धराशायी हो चुकी थीं। लपटों से घिरे घर में फंसे लोगों की चीखपुकार सुन ग्रामीण मदद के लिए दौड़ पड़े। पुलिस के पहुंचने से पहले ही लोगों ने घायलों को किसी तरह बाहर निकाला। इस बीच काकोरी पुलिस और चौक फायर स्टेशन से दमकल की एक गाड़ी भी पहुंच गई।
सीएफओ मंगेश कुमार ने बताया कि आग कैसे लगी, इसका पता अभी नहीं चल सका है। उन्होंने बताया कि गैस सिलिंडरों के परखचे उड़ गए थे और उसके टुकड़े कई जगह बिखरे थे। ऐसी आशंका है कि आग या तो शार्ट-सर्किट के चलते लगी थी या गैस सिलिंडर में लीकेज से हादसा हुआ। हादसे की असल वजह जांच के बाद ही पता चल सकेगी।
मुशीर के घर में हुए हादसे के वक्त परिवार के आठ लोग अनम, इंशा, लकब, मुशीर, हुस्ना बानो, राइया, हुमा और हिबा एक ही कमरे में मौजूद थे। अजमत दूसरे कमरे में थे। धमाके की आवाज सुन वह कमरे में फंसे हुए लोगों को बचाने के लिए पहुंचे तो वह भी झुलस गए।
मुशीर के भाई व कुछ अन्य लोग फौरन ही अपनी जान बचाकर घर के बाहर भागे। घर के बाहर बेबस खड़े ये लोग परिजनों को बचाने के लिए चीखते रहे पर तेज लपटों और धमाके के डर के चलते कोई हिम्मत नहीं जुटा सका। कुछ देर बाद जब धमाके की दहशत कम हुई तब ग्रामीण घर के अंदर दाखिल हो सके।
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