यूपी में मुख्यमंत्री विवाह योजना में हो रहे फर्जीवाड़ा को रोकने के लिए योजना में आवेदन स्वीकृत करने से पहले दस पड़ोसियों को गवाह बनाया जाएगा। इसके बाद ही आगे की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना में घपले रोकने के लिए सत्यापन के पुख्ता बंदोबस्त किए जा रहे हैं। योजना में आवेदन स्वीकार करने से पहले 10 पड़ोसियों को गवाह बनाया जाएगा कि लाभार्थियों का पहले विवाह नहीं हुआ है। विवाह करने वाले जोड़े को 10 हजार रुपये का जो गृहस्थी का सामान दिया जाता है, उसकी राशि भी सीधे बैंक खाते में भेजे जाने का प्रस्ताव लाया जा रहा है।
बलिया में हाल ही में इस योजना में बड़ा घपला सामना आया था। जिनका विवाह 1-3 साल पहले हो चुका है, उन्हें भी लाभार्थी दिखा दिया गया था। एक कन्या को बिना विवाह के ही योजना में शामिल कर लिया गया। मामला उजागर होने पर सरकार ने सहायक विकास अधिकारी (समाज कल्याण) को निलंबित किया। आठ अपात्र लाभार्थियों समेत 9 के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई।
अभी तक जो शिकायतें आई हैं, उनमें सबसे ज्यादा यही हैं कि पहले शादी हो चुकी है, फिर भी लाभार्थी बना दिया गया। इसलिए समाज कल्याण विभाग के कार्मिक योजना में शामिल वर और वधू पक्ष के 5-5 पड़ोसियों से बात करेंगे। उन्हें इस बात के लिए गवाह बनाएंगे कि पहले विवाह नहीं हुआ है। रिकॉर्ड में गवाहों का नाम व पता भी दर्ज किया जाएगा।
योजना में प्रति जोड़ा 51 हजार रुपये खर्च किया जाता है। अभी तक लागू व्यवस्था में 35 हजार रुपये कन्या के बैंक खाते में भेजा जाता है, जबकि 10 हजार का सामान दिया जाता है। 6 हजार रुपये प्रति जोड़ा आयोजन के मद में जाता है।
600 करोड़ सालाना का प्रावधान
योजना में सालाना 600 करोड़ रुपये बजट का प्रावधान है। कुल 1.17 लाख जोड़ों की शादी कराने का लक्ष्य है। चालू वित्त वर्ष में अभी तक एक लाख जोड़ों का विवाह हो चुका है।
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