गौर करें, चुनाव आचार संहिता है क्या…
जिला संवाददाता
सिद्धार्थ शुक्ला बस्ती
चुनाव आयोग द्वारा लोकसभा चुनाव 2024 की तारीखों का ऐलान करने के बाद से ही देश में आज से चुनाव आचार संहिता लागू हो गई। वहीं, चुनाव आयोग ने धन और बाहुबल पर अंकुश लगाने का निर्देश दिया है। लोकसभा चुनावों के दरमियान आदर्श आचार संहिता पूरे देश में और विधानसभा चुनावों के दौरान पूरे राज्य में लागू होती है। चुनाव आचार संहिता लागू होते ही किसी भी सार्वजनिक या निजी स्थान पर सभा आयोजित करने और जुलूस निकालने के लिए संबंधित पुलिस अधिकारियों से पहले लिखित अनुमति लेनी होगी। रात 10 बजे से प्रात: 6 बजे के बीच लाउडस्पीकर का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। जन सभाएं सुबह 6 बजे से पहले और रात 10 बजे के बाद आयोजित नहीं की जा सकती हैं। इसके अतिरिक्त, उम्मीदवार प्रचार बंद होने के दौरान जनसभाएं और जुलूस नहीं निकाल सकते। इसी तरह मतदान के रोज मतदान केंद्र के एक सौ मीटर की दूरी के भीतर वोटों के लिए प्रचार करना निषिद्ध है। मतदान के दिन मतदान केंद्र के आस-पास किसी भी तरह के हथियारों से लैस किसी भी व्यक्ति को हथियार ले जाने की अनुमति नहीं है। प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से परिवहन के लिए किसी भी प्रकार के वाहन द्वारा किसी भी मतदाता को मतदान केंद्र तक लाने ले जाने के लिए कोई भी व्यवस्था अपराध है।
क्या है चुनाव आचार संहिता?
आदर्श आचार संहिता राजनैतिक दलों और उम्मीदवारों के मार्गदर्शन के लिए निर्धारित किये गये मानकों का एक ऐसा समूह है जिसे राजनैतिक दलों की सहमति से तैयार किया गया है। आदर्श आचार संहिता में चुनाव आयोग की भूमिका अहम होती है। संविधान के अनुच्छेद 324 के अधीन संसद और राज्य विधानमंडलों के लिए स्वतंत्र, निष्पक्ष और शांतिपूर्ण चुनावों कराना चुनाव आयोग का सांविधिक कर्तव्य है। यह चुनाव आचार संहिता चुनाव तारीख से लेकर खत्म होने तक लागू रहती है। चुनाव प्रक्रिया, बैठकें आयोजित करने, शोभायात्राओं, मतदान दिन की गतिविधियों और सत्ताधारी दल के कामकाज भी संहिता से निर्धारित होते हैं। चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों का बर्ताव भी मायने रखता है। मंत्री अपने आधिकारिक दौरे को चुनाव प्रचार संबंधी कार्यों के साथ नहीं मिलायेंगे और न ही चुनाव प्रचार संबंधी कार्यों के दौरान सरकारी तंत्र या कार्मिकों का इस्तेमाल करेंगे। हालांकि, चुनाव प्रचार दौरे के साथ आधिकारिक दौरे को मिलाने संबंधी आदर्श आचार संहिता के प्रावधान से प्रधानमंत्री को छूट है। हवाई जहाज, गाड़ियों सहित किसी भी सरकारी वाहन को किसी दल या उम्मीदवार के हितों को लाभ पहुंचाने के लिए प्रयोग नहीं किया जायेगा। मंत्रियों को अपना आधिकारिक वाहन केवल अपने आधिकारिक निवास से अपने कार्यालय तक शासकीय कार्यों के लिए ही मिलेगा। इसमें शर्त है कि इस प्रकार के सफर को किसी चुनाव प्रचार कार्य या राजनीतिक गतिविधि से न जोड़ा जाये।
सरकार के लिए क्या नियम होते हैं?
चुनाव के दौरान प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुये सभी अधिकारियों या पदाधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग पर संपूर्ण प्रतिबंध होगा। यदि किसी अधिकारी का स्थानांतरण या तैनाती जरूरी मानी जाती है तो पहले चुनाव आयोग की अनुमति जरूरी है।
मतदाताओं को घूस देना और डराना जुर्म
मतदाताओं को घूस देना, मतदाताओं को डराना-धमकाना, हमशक्ल मतदाता से मतदान करवाना, मतदान केंद्रों से 100 मीटर की दूरी के भीतर प्रचार करना, मतदान समाप्त होने के लिए नियत घंटे के साथ समाप्त होने वाले 48 घंटों की अवधि के दौरान सार्वजनिक बैठकें आयोजित करना और मतदाताओं को मतदान केंद्रों तक ले जाने और वापस लाने के लिए परिवहन और वाहन की व्यवस्था करना भ्रष्ट आचरण और अपराध माना जायेगा। वहीं, हरेक शख्स के अधिकार का सम्मान किया जायेगा। लोगों के मत या गतिविधियों के प्रति विरोध जताने के लिए उनके घरों के सामने किसी भी परिस्थिति में न तो प्रदर्शन आयोजित किया जायेगा और न ही धरना दिया जायेगा।
कोई भी राजनीतिक दल या उम्मीदवार अपने अनुयायियों को किसी भी व्यक्ति की अनुमति के बिना उसकी भूमि, भवन, परिसर की दीवारों इत्यादि पर झंडा लगाने, बैनर लटकाने, सूचना चिपकाने, नारा लिखने इत्यादि की अनुमति नहीं देगा। किसी भी दल की बैठक या जुलूस में न तो बाधा खड़ी करें और न ही उन्हें भंग करें। एक दल द्वारा उन स्थानों के आसपास जुलूस नहीं निकाला जायेगा, जहां दूसरे दल द्वारा बैठकें आयोजित की गई हों। एक दल के द्वारा लगाये गये पोस्टर दूसरे दल के कार्यकर्ताओं द्वारा नहीं हटाये जायेंगे।
सरकारी खर्चे पर विज्ञापन पर रोक
चुनाव के दरम्यान प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में सरकारी खर्चे पर पार्टी की उपलब्धियों के संबंध में विज्ञापन और सरकारी जन-सम्पर्क निषेध यानी रोक रहती है। केंद्र में सत्ताधारी पार्टी या राज्य सरकार की उपब्धियों को प्रदर्शित करने वाले होर्डिंग या विज्ञापनों को सरकार खर्चे पर जारी नहीं रखा जायेगा। ऐसे सभी होर्डिंग और विज्ञापन तुरंत हटा दिये जायेंगे। चुनावों की घोषणा से पहले जारी कार्य आदेश के संबंध में यदि क्षेत्र में कार्य शुरू नहीं किया गया है तो उसे शुरू नहीं किया जायेगा। परंतु यदि काम शुरू कर दिया गया है तो उसे जारी रखा जा सकता है। सरकारी योजनाओं को लेकर कई दिशा-निर्देश हैं, वहीं इंदिरा आवास योजना योजना के तहत कोई भी नया काम शुरू नहीं किया जायेगा। चुनावों के पूरा होने तक किसी भी नये लाभार्थी को लाभ नहीं दी जायेगी। संपूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना (एसजीआरवाई) चल रहे कार्यों को जारी रखा जा सकता है। राष्ट्रीय रोजगार ग्रामीण गारंटी अधिनियम (एनईआरजीए) ग्रामीण विकास मंत्रालय ऐसे जिलों की संख्या नहीं बढ़ायेगा। चुनावों की घोषणा के बाद जॉब कार्ड धारक को चल रहे काम में तभी रोजगार उपलब्ध करवाया जा सकता है यदि वे काम की मांग करें।
यह काम नहीं कर सकते नेता-मंत्री और उम्मीदवार
मंत्री या अन्य प्राधिकारी किसी भी रूप में कोई वित्तीय अनुदान या उससे संबंधित कोई वादा नहीं करेंगे। किसी परियोजना अथवा योजना की आधारशिला इत्यादि नहीं रखी जा सकेगी। सड़क बनवाने, पीने के पानी की सुविधा इत्यादि उपलब्ध करवाने का कोई वादा भी नहीं किया जायेगा। वहीं, सरकारी-गैर सरकारी उपक्रमों में तदर्थ आधार पर कोई नियुक्ति भी नहीं कर पायेंगे। कुछ मामलों में वरिष्ठ सरकारी अधिकारी किसी राजनीतिक पदाधिकारी को शामिल किये बिना आधारशिला इत्यादि रख सकते हैं। गेहूं और अन्य कृषि-संबंधी उत्पादों का न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित करने के लिए चुनाव आयोग से परामर्श लिया जा सकता है।
चुनाव प्रचार के लिए क्या नियम हैं?
चुनाव आयोग के अनुसार, कोई दल या उम्मीदवार ऐसी किसी गतिविधि में शामिल नहीं होगा जो धार्मिक या भाषायी जातियों और समुदायों, के बीच मतभेद को बिगाड़े या परस्पर घृणा या तनाव का माहौल पैदा करें। जब राजनीतिक दलों की आलोचना की जाये, तो उसे उनकी नीतियों और कार्यक्रम, विगत रिकॉर्ड और कार्य तक ही सीमित रखा जायेगा। दल और उम्मीदवार दूसरे दलों के नेताओं या कार्यकर्ताओं की निजी जिंदगी के सभी पहलुओं की आलोचना करने से दूर रहें। इसमें शर्त है कि ये पहलू किसी के सार्वजनिक गतिविधियों से जुड़े नहीं होने चाहिये। तोड़-मरोड़ कर या असत्यापित आरोपों के आधार पर दूसरे दलों या उनके कार्यकर्ताओं की आलोचना करने से बचना होगा। वोट हासिल करने के लिए जाति या संप्रदाय की भावनाओं के आधार पर कोई अपील नहीं की जायेगी। मस्जिदों, चर्चों, मंदिरों और अन्य पूजा स्थलों का चुनाव प्रचार के मंच के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जायेगा।
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