लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के नए प्रयोग की होगी परीक्षा

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लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के नए प्रयोग की होगी परीक्षा, बनाई जा रही भविष्य की रणनीति
कांग्रेस पिछड़ों को टिकट देने के साथ ही भविष्य की रणनीति पर काम कर रही है। पार्टी पिछड़ों, दलितों व अल्पसंख्यकों को भागीदारी देने के मुद्दे को भुनाने की तैयारी में है।
कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में नया प्रयोग किया है। पिछड़ों, दलितों और अल्पसंख्यकों को टिकट देने में समान हिस्सेदारी रखी है तो दूसरी तरफ सपा का वोटबैंक कांग्रेस उम्मीदवार के पक्ष में कितना जाता है, इसका भी लिटमस टेस्ट हो रहा है। इस चुनाव में कांग्रेस के इन दोनों प्रयोग की परीक्षा है। यदि पार्टी इस परीक्षा में पास हुई तो भविष्य की रणनीति इसी दिशा में रहेगी।
न्याय यात्रा के दौरान कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने हर जिले में पिछड़े, दलितों व अल्पलंख्यकों की भागीदारी का मुद्दा उठाया था। संगठन से लेकर चुनाव तक में भागीदारी देने की वकालत की थी। लोकसभा चुनाव में यूपी में कांग्रेस को 17 सीटें मिली हैं। इसमें 15 पर उम्मीदवारों की घोषणा हो चुकी है। कांग्रेस ने तीन उम्मीदवार पिछड़े वर्ग के दिए हैं। यानी पिछड़ों की हिस्सेदारी 20 फीसदी है।


इसमें मथुरा से मुकेश कुमार धनगर जाति से हैं तो सीतापुर के राकेश राठौर अति पिछड़े वर्ग में आने वाले तेली समाज से हैं। वहीं, महराजगंज के उम्मीदवार विधायक वीरेंद्र चौधरी कुर्मी हैं। इस तरह तीन में दो अति पिछड़े हैं। अल्पसंख्यकों को भी 20 फीसदी हिस्सेदारी हैं। इसमें अमरोहा से दानिश अली व सहारनपुर में इमरान मसूद मुस्लिम तो झांसी से प्रदीप कुमार जैन हैं।
दलितों को भी 20 फीसदी हिस्सेदारी देते हुए तीन सीट दी है। सामान्य वर्ग के छह उम्मीदवारों में दो ब्राह्मण हैं। कानपुर से आलोक मिश्र और गाजियाबाद से डॉली शर्मा हैं। दो ठाकुरों में देवरिया से अखिलेश प्रताप सिंह और फतेहपुर सीकरी से रामनाथ सिकरवार हैं। दो भूमिहारों में वाराणसी से पूर्व मंत्री अजय राय और इलाहाबाद से उज्ज्वल रमण सिंह हैं।

सीतापुर के जरिये दिया समीकरण साधने का संदेश
सीतापुर लोकसभा प्रत्याशी के तौर पर पहले नकुल दुबे के नाम की घोषणा हुई थी लेकिन बाद में राकेश राठौर को उतारा गया। इसके पीछे अलग-अलग वजह बताई जा रही है। पर, शीर्ष नेतृत्व को जातीय समीकरण का ही संदेश देकर टिकट बदलने पर राजी किया गया। पार्टी के प्रदेश नेतृत्व ने समझाया कि न्याय यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने पिछड़ों का मुद्दा बार-बार उठाया है। भविष्य की सियासी रणनीति के तहत पिछड़े वर्ग को भागीदारी का संदेश देना जरूरी है।

कांग्रेस की जनसभाओं और सोशल मीडिया पर पिछड़े, दलितों व अल्पसंख्यकों को टिकट में दी गई समान भागीदारी का प्रचार भी किया जा रहा है। जनसभा में यह समझाने का प्रयास किया जा रहा है कि कांग्रेस ही सभी वर्गों को समान भागीदारी दे सकती है।

कांग्रेस ने अभी तक अमेठी और रायबरेली सीट पर उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है। ऐसे में 17 में बची इन दोनों सीटों पर सभी की निगाहें हैं। यदि गांधी का परिवार का कोई सदस्य मैदान में नहीं उतरा तो दो में एक सीट पर सामान्य वर्ग और दूसरी पर दलित उम्मीदवार उतारने की तैयारी चल रही है।

कांग्रेस की निगाह इन 17 सीटों पर सपा के वोटबैंक पर है। देखना यह महत्वपूर्ण होगा कि सपा का वोटबैंक कांग्रेस उम्मीदवारों को किस कदर स्थानांतरित हो पाता है। कांग्रेस आगे के चुनावों में इस अनुभव के आधार पर रणनीति तैयार करेगी

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