अफजाल अंसारी ने बेटी को बताया राजनीतिक वारिस, पिता के लिए प्रचार में जुटी नुसरत लड़ सकती हैं चुनाव
वर्तमान सांसद और समाजवादी पार्टी उम्मीदवार अफजाल अंसारी ने अपनी बेटी नुसरत को राजनीतिक वारिस बना दिया है. बुधवार को सपा कार्यालय में हुई इंडिया गठबंधन के बैठक में उन्होंने बेटी को अपना वारिस बता दिया.
गाजीपुर में अब अंसारी परिवार ने घर की एक नई सदस्य को सियासी मैदान में उतार दिया है. वर्तमान सांसद और समाजवादी पार्टी उम्मीदवार अफजाल अंसारी ने अब एक नया दांव खेला है. उन्होंने अपनी बेटी नुसरत को राजनीतिक वारिस बना दिया है. बुधवार को सपा कार्यालय में हुई इंडिया गठबंधन के बैठक में उन्होंने बेटी को अपना वारिस बता दिया. हालांकि इस बात को लेकर चर्चाओं का बाजार पहले से ही गर्म था, लेकिन जब बैठक में अफजाल ने नुसरत का परिचय कराया तो इस पर मुहर लग गई.
इस परिचय के कई और राजनीतिक मतलब भी निकाले जा रहे हैं. बता दें, गाजीपुर एमपी एमएलए कोर्ट ने गैंगस्टर एक्ट मामले में अफजाल को 4 साल की सजा सुनाई थी. इसके बात वो हाई कोर्ट चले गए. अदालत इस मामले में अब 2 मई को सुनवाई करेगा. अफजाल की बेटी नुसरत पिछ्ले कई दिनों से पिता के चुनाव प्रचार में जुटी हुई हैं.
जिस तरीके से उन्होंने अपनी बेटी का नेताओं से परिचय कराया उससे ये कयास लगाया जा रहा है कि अफजाल को लगने लगा है कि उन्हें कोर्ट से कोई बड़ी राहत नहीं मिलने वाली है. अंसारी परिवार की आंखें इन दिनों कोर्ट के फैसले पर टिकी होंगी. हालांकि इसकी सुनवाई 2 मई को होनी है. लेकिन इस मामले पर अफजाल अंसारी का राजनीतिक भविष्य टिका हुआ है. अगर फैसला उनके पक्ष में नहीं आया तो वो चुनाव नहीं लड़ पाएंगे. माना जा रहा है इसके लिए वो अपनी बेटी को महागठबंधन के प्रत्याशी के रूप में चुनावी मैदान में उतार सकते हैं और शायद बीजेपी ने ऐसा मान भी लिया है.
नुसरत पर बीजेपी प्रत्याशी का तंज
कहते हैं राजनीति में जब आपके निशाने बदलने लगे और आपका जुबानी हमला किसी और पर होने लगे तो मान लीजिए आपका प्रतिद्वंदी वही है, जिससे आप जुबानी जुंग लड़ रहे हो यानी जिस पर आरोप और प्रत्यरोप करने लगें. दरअसल ऐसा ही कुछ गाजीपुर में देखने को मिला. यहां पर अफजाल, मुख्तार, उमर और अब्बास यही सब नाम बीजेपी नेताओं के जुबान पर होते थे. लकिन यहां से बीजेपी उम्मीदवार पारसनाथ राय के निशाने पर अब अफजाल कि जगह उनकी बेटी नुसरत रहीं. उन्होंने नुसरत के मंदिर जाने और कीर्तन में शामिल होने के लिए तंज कसा है. इस बात से भी यही अंदाजा लगाया जा रहा है कि अगर अफजाल की मुश्किलें कम नहीं हुईं तो गाजीपुर से नुसरत अपनी सियासी पारी की शुरुआत कर सकती हैं.
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