तीसरे चरण में भी हुआ वोटों का ध्रुवीकरण : सहानुभूति लहर का दिखा असर, जातीय गणित में उलझे प्रत्याशी
लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में भी वोटों का ध्रुवीकरण होता नजर आया। मतदाताओं ने प्रत्याशियों से ज्यादा राजनीतिक दलों के बड़े चेहरों को तवज्जो देते हुए मतदान किया। पढ़िए तीसरे चरण में यूपी में हुए सभी सीटों पर एक विशेष रिपोर्ट।
लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में भी वोटों का ध्रुवीकरण होता नजर आया। मतदाताओं ने प्रत्याशियों से ज्यादा राजनीतिक दलों के बड़े चेहरों को तवज्जो देते हुए मतदान किया। संभल में सांसद शफीकुर्रहमान बर्क की मृत्यु के बाद चुनाव में सहानुभूति लहर का असर दिखा और मतदाताओं ने भीषण गर्मी की परवाह किए बिना मतदान किया। वहीं बरेली में मुकाबला सबसे रोचक होता नजर आया। यहां बसपा प्रत्याशी के मैदान से बाहर होने की वजह से दलित वोट किंगमेकर बन गया। इसी तरह बदायूं में भी भाजपा प्रत्याशी दुर्विजय सिंह और सपा प्रत्याशी आदित्य यादव के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिला। तीसरे चरण में चुनाव का बहिष्कार होने के तमाम मामले सामने आए, तो वहीं दूसरी ओर मैनपुरी में कई जगहों पर झड़प की सूचना मिली है।
सहानुभूति से ओतप्रोत दिखा संभल
संभल लोकसभा सीट पर सपा प्रत्याशी जियाउर्रहमान बर्क और भाजपा के उम्मीदवार परमेश्वर लाल सैनी के बीच मुकाबला है। बसपा प्रत्याशी दम नहीं दिखा सके। संभल लोकसभा क्षेत्र की विधानसभा क्षेत्र संभल में सपा प्रत्याशी आगे रहे तो असमोली विधानसभा क्षेत्र में सपा और भाजपा के बीच कड़ा मुकाबला हुआ है। चंदौसी क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी सपा प्रत्याशी से काफी आगे नजर आए। जबकि कुंदरकी और बिलारी में दोनों के बीच टक्कर दिखी। कुंदरकी में सबसे अधिक वोट पड़े, जहां से सपा प्रत्याशी जियाउर्रहमान बर्क विधायक हैं।
दलित वोट बनाएंगे सांसद
बरेली सीट पर सपा के प्रवीण सिंह ऐरन और भाजपा के छत्रपाल गंगवार के बीच सीधी टक्कर हुई। बसपा के मैदान में न होने से दलित मतों में बिखराव नजर आया। बरेली सीट पर ध्रुवीकरण की छाया रही। माना जा रहा है कि इसका असर परिणाम को प्रभावित करेगा। किसी वर्ग की विशेष नाराजगी नजर नहीं आई। ग्रामीण क्षेत्र मतदान में आगे रहा, जबकि शहरी वोटर सुस्त नजर आए। भीषण गर्मी की वजह से शहरी इलाकों के मतदाता बाहर नहीं निकले। ऐसे में मुस्लिम और दलित वोट चुनाव नतीजों पर खासा असर डाल सकता है।
आंवला में सीधी लड़ाई
आंवला सीट पर भाजपा के धर्मेंद्र कश्यप और सपा के नीरज मौर्य में सीधी लड़ाई दिखी। वहीं बसपा के आबिद अली अधिकांश जगह मैदान से बाहर नजर आए। इस सीट पर जातीय बिखराव के साथ ही मुस्लिम मतदाता अधिकांश जगह सीधे सपा को वोट करते नजर आए। ये परिणाम को प्रभावित कर सकता है। अगड़ी जातियों में भाजपा सांसद के व्यवहार को लेकर कई जगह नाराजगी दिखी। आंवला में अधिकांश ग्रामीण इलाका होने की वजह से मतदान केंद्रों पर देर शाम तक मतदान होता रहा। हालांकि पिछली बार के मुकाबले कम मतदान होने की संभावना जताई जा रही है।
मुस्लिम खां बिगाड़ सकते हैं समीकरण
बदायूं सीट पर भाजपा के दुर्विजय सिंह और सपा के आदित्य यादव में सीधी टक्कर है। अनुसूचित जाति बहुल बूथों पर बसपा के मुस्लिम खां खूब लड़े। विकास के प्रति उपेक्षा से भड़के लोगों ने 16 गांवों में प्रदर्शन किया। यहां यादव वर्ग की नाराजगी सहसवान और सदर क्षेत्र भाजपा के खिलाफ सामने आई। मुस्लिम सपा के पक्ष में लामबंद दिखा। सवर्ण मतदाताओं में स्थानीय जनप्रतिनिधियों के प्रति नाराजगी तो थी, लेकिन मोदी-योगी फैक्टर पर उनका झुकाव नजर आया। मुस्लिम और दलित वोट बैंक में अगर बड़ा बिखराव नहीं हुआ तो नतीजे चौंकाने वाले हो सकते हैं।
हाथरस में कम मतदान ने बढ़ाई चिंता
हाथरस संसदीय सीट पर प्रत्याशियों के चेहरे से ज्यादा पार्टी नेतृत्व का चेहरा हावी नजर आया। सपा-बसपा के अपरिचित चेहरों के बीच भाजपा प्रत्याशी एवं प्रदेश सरकार में राज्यमंत्री अनूप वाल्मीकि प्रभावी दिखे। सपा के जसवीर वाल्मीकि और बसपा के हेमबाबू धनगर पार्टी के परंपरागत वोट बैंक तक सीमित नजर आए। बसपा की ओर कुछ मुस्लिम मतदाताओं का भी रुझान दिखा। शहरी क्षेत्र में भाजपा बढ़त पर दिखी। विकास कार्य को लेकर नाराजगी के बाद करीब एक दर्जन गांवों में मतदान का बहिष्कार किया गया। कम मतदान प्रतिशत जरूर भाजपा के लिए चिंता है।
मैनपुरी में लड़ाई भाजपा और सपा में
तीसरे चरण की सबसे चर्चित मैनपुरी सीट पर सपा प्रत्याशी डिंपल यादव और भाजपा प्रत्याशी पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह के बीच मुख्य लड़ाई है। बसपा प्रत्याशी शिवप्रसाद यादव तीसरे स्थान पर हैं। जयवीर सिंह रा ठाकुरों के प्रति झुकाव के चलते अन्य जातियों में अंदरखाने उन्हें विरोध झेलना पड़ सकता है। शाक्य वोट बैंक भी भाजपा के पाले में जाता नहीं दिखा। शाक्य वोट मिलने से सपा मजबूत स्थिति में आ सकती है। डिंपल यादव के लिए पार्टी के पूरे कैडर का जुटना फायदेमंद साबित हो सकता है।
आगरा में त्रिकोणीय मुकाबला
आगरा सीट पर भाजपा प्रत्याशी एसपी सिंह बघेल, सपा गठबंधन के सुरेश चंद्र कर्दम और बसपा प्रत्याशी पूजा अमरोही के बीच त्रिकोणीय मुकाबला दिखा। आगरा उत्तर, दक्षिण, छावनी इलाके में भाजपा प्रत्याशी बढ़त लेते नजर आए। वहीं एत्मादपुर व जलेसर में तीनों प्रत्याशी के बीच वोटों का बंटवारा होता दिखा। मुस्लिम मतों का बिखराव इस बार ज्यादा नहीं हो सका। इसका फायदा सपा गठबंधन को मिलता नजर आ रहा है। कई स्थानों पर सपा और बसपा के बस्ते नजर नहीं आए। संगठन की शिथिलता भी प्रत्याशियों को नुकसान पहुंचाने में कम प्रभावी नहीं रही।
सीकरी में दिखी किलेबंदी
फतेहपुर सीकरी लोकसभा सीट पर मुकाबला बड़ा रोचक हो गया है। मतदाताओं की भाजपा प्रत्याशी राजकुमार चाहर से नाराजगी से वोटों का बंटवारा हो गया। बची कसर भाजपा के बागी प्रत्याशी रामेश्वर सिंह ने पूरी कर दी है। हालांकि प्रधानमंत्री मोदी के नाम पर भी मतदान हुआ है। बसपा प्रत्याशी ने भी कई जगह दम दिखाया, मगर वह मुख्य मुकाबला कांग्रेस गठबंधन के रामनाथ सिकरवार और भाजपा प्रत्याशी राजकुमार चाहर के बीच होता नजर आ रहा है। बाह के मतदाताओं की नाराजगी भाजपा पर भारी पड़ सकती है।
कमल और साइकिल में मुकाबला
एटा में भाजपा, सपा गठबंधन एवं बसपा सहित 10 प्रत्याशी चुनावी मैदान में थे। हालांकि मंगलवार को मतदान के दौरान लड़ाई सिर्फ कमल और साइकिल में ही दिखाई दी। पांचों विधानसभाओं में मतदाताओं के रुझान देखकर यह स्पष्ट है कि बसपा प्रत्याशी मो. इरफान एडवोकेट चुनावी मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने में सफल नहीं हो सके। मुख्य मुकाबला भाजपा प्रत्याशी राजवीर सिंह और सपा गठबंधन प्रत्याशी देवेश सिंह शाक्य के बीच ही नजर आया।
फिरोजाबाद में मुख्य मुकाबला सपा भाजपा के बीच
फिरोजाबाद में भाजपा प्रत्याशी ठाकुर विश्वदीप सिंह व सपा प्रत्याशी अक्षय यादव के बीच लड़ाई है। बसपा प्रत्याशी चौधरी बशीर बड़ा उलटफेर करते नहीं दिखे। ठाकुर विश्वदीप सिंह काे अपनी बिरादरी के वोट तो मिले, लेकिन लोधे राजपूत समाज ने उनका अंदरखाने विरोध भी किया। वहीं सपा को यादव के साथ-साथ इस बार मुस्लिम समुदाय का वोट भी मिला है। इसके अलावा बघेल, लोधे राजपूत, निषाद व अति पिछड़ा में शुमार सैनी, शाक्य आदि वोटों में भी सेंधमारी की। इससे सपा अपनी जीत सुनिश्चित मान रही है।
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