भांग की सरकारी दुकानों समेत पान की दुकानों से की जाती गाँजे की बिक्री, जिम्मेदार बने अनभिज्ञ
दुकान भांग की और बिक्री गांजा की। यह खेल नगर समेत पूरे तहसील क्षेत्र में भी खूब फल-फूल रहा है। जब इस गोरखधंधे की पड़ताल की तो आबकारी और पुलिस की मिलीभगत की पोल खुल गई। नगर से लेकर ग्रामीण अंचल में आवंटित भांग की दुकानों की आड़ में प्रतिबंधित मादक पदार्थो की बिक्री का खेल खुलेआम हो रहा है। जिसके बावत जिम्मेदार विभागीय समेत स्थानीय पुलिस के आलाधिकारी सबकुछ जानते हुए भी मौन धारण किये हैं। लोगो की माने तो इसकी मुख्य वजह इन ठेका संचालको द्वारा जिम्मेदार विभागीय समेत स्थानीय पुलिस को माहवारी के रूप में मिलने वाली एकमुश्त मोटी रकम है। स्थानीय लोगो की माने तो
दुकान पर पहुंचते ही दुकानदार या उसके आसपास मंडराने वाला शख्स यही पूछता है कि क्या चाहिए। इशारा साफ रहता है, उपभोक्ता को केवल ‘माल’ कहने की जरूरत है और फिर पुड़िया हाजिर। भांग की दुकानों पर गांजा बिकने की एक और पुष्टि इस तथ्य से होती है कि हाल ही में जिला पुलिस और क्राइम ब्रांच की टीम ने गाँजा तश्करो के खिलाफ कार्यवाही कर इस अवैध कारोबार से जुड़े कई लोगो को गाँजे की बड़ी खेप के साथ पकड़कर जेल भेजा था। तस्करों ने भी भांग की दुकानों पर गांजा सप्लाई की बात नेटवर्क के जरिए करने की बात स्वीकार की थी। तहसील क्षेत्र में भांग की दर्जनों दुकानें हैं जिसमें शहर और ग्रामीण अंचलों की दुकानें सामिल हैं। इस साल जिले में लगभग दो करोड़ रुपये के भांग का ठेका हुआ है। लेकिन ठेका भांग बिक्री का हुआ है। जिसकी आड़ में ठेका संचालको द्वारा गांजा बिक्री के जरिए करोड़ों रुपये की कमाई की जा रही है। नगर समेत तहसील क्षेत्र की तमाम दुकानें ऐसी भी हैं जहां से भांग की लाइसेंस फीस भी नहीं निकल पाती। लिहाजा वहां का ठेकेदार गांजा बिक्री की राह पर चल पड़ता है। मजेदार बात यह भी है कि आबकारी नियम के अनुसार कोई भी भांग की दुकान गुमटी में नहीं चलनी चाहिए किंतु तहसील क्षेत्र में बहुत सी दुकान गुमटियों में ही चल रही हैं। जहां किसी तरह का कोई बोर्ड नहीं लगा है। ऐसे में तमाम अनुज्ञापी आबकारी विभाग के नियमों को दरकिनार कर अपनी ‘दुकान’ चला रहे हैं। लेकिन इन मनमानी कर भांग के ठेके की आड़ में गाँजे की बिक्री करने वाले अनुज्ञापियों के खिलाफ कार्यवाही करने की बजाय विभागीय जिम्मेदार समेत स्थानीय पुलिस के जिम्मेदार अधिकारी इनको सभी नियम कानून को दरकिनार कर गाँजे की बिक्री करने की खुली छूट प्रदान किये हुए हैं। जबकी कई बार न सिर्फ इन भांग के ठेकों से की जा रही गाँजे की बिक्री की स्थानीय लोगो ने पुलिस समेत विभागीय अधिकारियों से भी मौखिक शिकायत की। वहीं भांग के ठेका के सेल्समैनों द्वारा भांग की आड़ में गाँजे की बिक्री के आये दिन शोशल मीडिया में वीडियो और फोटो भी वायरल होते रहे हैं। जिसका सिलसिला निरन्तर जारी है। लेकिन विडंबना ये है कि वीडियो में किस भांग के ठेके से गाँजे की अवैध बिक्री की जा रही है। सब कुछ स्प्ष्ट होने के बावजूद भी जिम्मेदार विभागीय व पुलिस अधिकारी ठेका संचालको के खिलाफ कार्यवाही करने की हिम्मत जुटाने की बजाय वीडियो और फोटो को पुराना बता अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ लेते हैं। नतीजतन कार्यवाही न होने से मनबढ़ भांग ठेका संचालको व सेल्समैनों द्वारा निडरता पूर्वक भांग की आड़ में गाँजे की बिक्री धड़ल्ले से की जा रही है।
खास बात तो यह है कि इन दुकानों से गाँजे की खरीद फरोख्त करने वालो में सबसे अधिक संख्या नाबालिग बच्चों व युवाओं की होती है। जिससे एक ओर युवाओं का भविष्य जहां अंधकार मय हो रहा है। वहीं युवा वर्ग नशे की आपूर्ति के लिए अपराध की ओर भी तेजी से अग्रसर है।
इसके बावजूद भी जिम्मेदारों के कानों में इन गाँजा कारोबारियों के खिलाफ कार्यवाही करने के लिए जूं नहीं रेंग रही है। जो कि एक सोचनीय व चिन्तनीय विषय है।
सूत्रों की माने तो नगर व तहसील क्षेत्र में खुली कुछ भांग की सरकारी दुकानें बड़ी मात्रा में गाँजे की अवैध बिक्री के लिए चर्चित हैं। जिनमें खागा नगर क्षेत्र के जीटी रोड में कोतवाली परिसर से महज तीस मीटर दूर नीम टोला मुहल्ला में मेन रोड से सटी हुई भांग की सरकारी दुकान, नौबस्ता रोड बाईपास स्थित भांग की दुकान, किशनपुर रोड रेलवे ओवर ब्रिज के नीचे स्टेशन रोड में खुली भांग की दुकान, त्रिलोचनपुर गांव चौराहे में खुली गुमटी नुमा दुकान, विजयीपुर, नरैनी, व खखरेरू कस्बे में रावण मैदान स्थित धाता कस्बे में सिराथू रोड संगम गेस्ट हाउस के पास, हथगाँव कस्बे में थाने से महज चंद कदम दूर व छिवलहा कस्बे में खुली भांग की दुकान सामिल हैं। यही नहीं बल्कि नगर समेत तहसील क्षेत्र की कुछ पान व किराने की दुकानों से भी गाँजे की अवैध बिक्री की जाती है।
जिसमे खागा नगर में रामनगर गली स्थित एक मेडिकल स्टोर के बगल में स्थित मकान, मानू का पुरवा, हरदों गांव के किशनपुर रोड में रखी एक पान की गुमटी, प्रेम नगर कस्बे स्थित गौंती मोड़ के सामने रखी एक पान की गुमटी नुमा दुकान से गाँजे की धड़ल्ले से अवैध रूप से बिक्री की जाती है।
गांजा दुकानदारों के मुताबिक तीन प्रकार के गांजे की बिक्री इस समय खूब हो रही है। इसमें कूट बिहार, मणिपुर और असमिया गांजा शामिल है। इसके अलावा भी कई तरह के गाँजो की बिक्री की जाती है लेकिन इन किस्मो की मांग कम होती है। सूत्रों के मुताबिक दुकानदारों को 4000 से 6500 हजार रुपये प्रति किलो गांजा मिलता है। जबकि उसकी बिक्री ढाई ग्राम की पुड़िया 50 रुपये, पांच ग्राम 100 रुपये में होती है। यानी 200 रुपये तोला के हिसाब से बेचते हैं। दुकानदार को एक किलो गाँजे की बिक्री करने पर हजारों रुपये का शुद्ध मुनाफा होता है।
नाम न छापने की शर्त पर एक भांग दुकानदार के सेल्समैन ने बताया कि हर महीने आबकारी और पुलिस के लिए पैसा बंधा होता है। इसमें आबकारी इंस्पेक्टर के लिए दस से 15 हजार, थानेदार को 15 से 20 हजार, चौकी प्रभारी को पांच से 10 हजार, क्राइम ब्रांच की दो टीमों को दस- दस हजार रुपये देना पड़ता है। हल्के के सिपाही और कोबरा पुलिस भी कभी कभार अपना कमीशन ले जाते हैं। यही नहीं बल्कि कुछ क्षेत्रीय व यू ट्यूबिया पत्रकार भी विज्ञापन के नाम पर हर माह एक हजार से डेढ़ हजार रुपये तक का कमीशन लेते हैं।
सूत्रों की माने तो इन लाइसेंसी भांग दुकानदारों व अन्य दुकानदारों को गाँजे की अवैध बिक्री के लिए गाँजे की आपूर्ति किशनपुर, विजयीपुर, बाँदा समेत उन्नाव जिले के गाँजा माफियाओं के गुर्गे कैश आन डिलीवरी नियमावली के तहत करते हैं। कभी कभार तो उधार भी चल जाता है।
हलांकि इस सम्बंध में जब क्षेत्रीय आबकारी अधिकारी निधि सिंह से बात की गई तो उन्होंने फोन उठाने की बजाय स्वयं का सेल फोन अपने हेड कांस्टेबल को पकड़ा दिया। जिन्होंने सभी ठेकों की जांच के बाद आरोप सही पाए जाने पर कार्यवाही का दम्भ भरा।
वहीं जिला आबकारी अधिकारी ने भी शीघ्र ही अभियान चला भांग की सरकारी दुकानों की चेकिंग करवा कार्यवाही करने का रटा रटाया जवाब दिया।
जबकी सीओ अनिल कुमार सिंह का सेलफोन रिसीव न होने की वजह से उनसे बात नहीं हो पाई।
जबकी ए एसपी विजय शंकर मिश्रा ने टीम गठित कर सभी ठेकों की जांच करवा आरोप सिद्ध होने पर दुकान संचालको के खिलाफ सख्त कार्यवाही किये जाने की बात कही है।
Inf न्यूज ब्यूरो चीफ रणविजय सिंह फतेहपुर
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