यूपी पुलिस के सात दरोगा और छह मुंशी सहित 30 पुलिसकर्मी निलंबित किए गए हैं। भ्रष्टाचार के आरोप में आगरा कमिश्नरेट में सबसे बड़ी कार्रवाई हुई है।
उत्तर प्रदेश के आगरा में कमिश्नरेट प्रणाली लागू होने के बाद भी दरोगा, मुंशी और सिपाहियों का भ्रष्टाचार नहीं रुका। पासपोर्ट सत्यापन से लेकर मुकदमों की विवेचना में भ्रष्टाचार और न्यायिक व सरकारी कार्यों में लापरवाही पर पुलिस कमिश्नर जे रविन्दर गौड पर बुधवार को डीसीपी सिटी सूरज कुमार राय ने सात दरोगा, छह मुंशी और 22 सिपाहियों को निलंबित किया है।
साइबर क्राइम थाना में तैनात चार मुंशियों सहित पांच पुलिसकर्मियों की साइबर अपराधियों से मिलीभगत थी। साइबर अपराध के पीड़ितों का भी मुंशी व सिपाही उत्पीड़न करते थे। साइबर क्राइम थाना में तैनात मुख्य आरक्षी अविनाश, शेर सिंह, सनी कुमार, कर्मवीर और सिपाही धर्मेंद्र शर्मा को निलंबित किया है।
पासपोर्ट सत्यापन में वसूली, फंसे 4 दरोगा और 12 सिपाही
पासपोर्ट सत्यापन के नाम पर आवेदक से अवैध वसूली करने में 4 दरोगा सहित 16 सिपाही निलंबित हुए हैं। पासपोर्ट आवेदकों से फीडबैक में 21 लोगों ने शिकायत दर्ज कराई।
ये दरोगा हुए निलंबित
उप निरीक्षक न्यू आगरा धर्मेंद्र सिंह
प्रशिक्षु उप निरीक्षक न्यू आगरा अनंत सिंह
उप निरीक्षक थाना छत्ता शांतनु अग्रवाल
उप निरीक्षक न्यू आगरा विनोद कुमार
उप निरीक्षक थाना हरीपर्वत जितेंद्र प्रताप सिंह
प्रशिक्षु उपनिरीक्षक थाना शाहगंज प्रखर
प्रशिक्षु उपनिरीक्षक कमला नगर प्रशांत कुमार
इन पर भी गिरी भ्रष्टाचार की गाज
सिकंदरा में सिपाही पवन कुमार, देशराज कुशवाह, अमित कुमार, कमला नगर में महिला सिपाही आरती, एत्माउद्दौला में सौरभ, शाहगंज में श्यामसुंदर, न्यू आगरा में मुख्य आरक्षी राजेंद्र कुमार, हरीपर्वत में सिपाही रिंकू, अजीत और विकास, जगदीशपुरा में कुलदीप कुमार, मंटोला में सागर, न्यू आगरा में सिपाही सचिन पाल, न्यायिक कार्य में लापरवाही पर एसीपी न्यायालय में तैनात सिपाही दीपचंद्र को निलंबित किया गया है।
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