बारिश में झील बन गया आगरा-दिल्ली हाईवे, आखिर क्या हैं इसमें खामियां; सात घंटे तक जूझे लोग
दिल्ली-आगरा नेशनल हाईवे-19 पर आगरा से अरतौनी और रुनकता के बीच बुधवार को बारिश का पानी 3 से 4 फीट तक भर गया था। 7 घंटे तक यातायात थमा रहा और 6 किमी लंबा जाम देर रात तक लगा रहा। इसमें नेशनल हाईवे अथॉरिटी की लापरवाही सामने आई है। हाईवे का ड्रेनेज सिस्टम पूरी तरह से चोक मिला है। सिल्ट के कारण बारिश का पानी नाले में गया ही नहीं। करीब 8 साल से हाईवे के नालों की सफाई ही नहीं हुई है।
विशेषज्ञ सिविल इंजीनियरों की मदद ली गई। आगरा से अरतौनी और रुनकता के बीच ड्रेनेज सिस्टम अधूरा मिला। जगह-जगह यह आधा ही बना था। रुनकता से अरतौनी के बीच ड्रेनेज सिस्टम पूरी तरह चोक मिला। हाईवे की सतह तक कचरा और सिल्ट भरा था।
वहीं रुनकता में हाईवे की सतह से नाला डेढ़ फीट ऊंचा मिला, जिसमें पानी जा नहीं सका। अरतौनी पर सर्विस रोड आधा ही बनाया। 300 मीटर का हिस्सा अधूरा छोड़ दिया, जिसमें कार सवार और दोपहिया वाहन फंस गए थे। यह हिस्सा सर्विस लेन से डेढ़ फीट गहरा है।
एनएचएआई ने सुना नहीं
आगरा नगर निगम ने बारिश से पहले और मानसून में जलभराव के दौरान भी पांच बार नेशनल हाईवे अथॉरिटी के प्रोजेक्ट डायरेक्टर वीके जोशी को फोटो लगाकर पत्र भेजे थे। हाईवे के नालों की सफाई और अधूरे नालों का निर्माण करने के लिए कहा था। मई से जुलाई के बीच पांच बार पत्र भेजकर एनएचएआई डायरेक्टर को खामियां दूर कराने के लिए कहा गया, लेकिन एक बार भी सिल्ट नहीं निकाली गई। न ही नालों को पूरा बनाकर आपस में जोड़ा गया।
क्षमता नहीं बढ़ाई गई
हाईवे विशेषज्ञ इंजीनियर विशाल कुमार ने बताया कि आगरा से मथुरा के बीच का पूरा हाईवे गलत डिजाइनिंग का नमूना है। सिक्सलेन बनाने पर भी उसकी क्षमता नहीं बढ़ाई गई, जबकि पानी निकलने के लिए पूरी व्यवस्था करनी चाहिए थी। फ्लाईओवर और 200 फुट का पानी कहां जाएगा, इसका एनएचएआई ने निदान नहीं निकाला।
नगर आयुक्त अंकित खंडेलवाल का कहना है कि हमने मई से ही एनएचएआई को जलभराव की समस्या दूर करने के लिए कहा था। शहर में इसके कारण कई जगह दिक्कतें होती हैं। एनएचएआई के उच्च अधिकारियों को यह लापरवाही बताई जाएगी और समाधान के लिए जोर देंगे
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