परंपरागत शिक्षा व्यवस्था से असमानता का गंभीर सवाल
1 राष्ट्र, 1 शिक्षा, 1 व्यवस्था हेतु 1 ईंट 1 रुपए से पीडब्ल्यूएस शैक्षिक महाक्रांति का महाअभियान
— निर्धन बेसहारा बच्चों को निःशुल्क गुणवत्तापूर्ण शिक्षा।
रिपोर्ट – सिद्धार्थ शुक्ला बस्ती
बस्ती। 1 राष्ट्र, 1 शिक्षा, 1 व्यवस्था के तहत समाज के सभी निर्धन बेसहारा बच्चों को पूर्णतया निःशुल्क गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने हेतु 1 ईंट 1 रूपये के जन सहयोग से निर्माणाधीन पीडब्ल्यूएस शिक्षालय में वास्तव में विश्व की एक अद्वितीय शैक्षिक महाक्रांतिकारी कार्य योजना है जिसके मूल उद्देश्य में समाज में शत प्रतिशत साक्षरता तथा अपने राष्ट्र को शिक्षित, विकसित व आत्मनिर्भर विश्वगुरु राष्ट्र बनाना है।
उपरोक्त की जानकारी देते हुए पीडब्ल्यूएस शिक्षालय के संस्थापक प्रबंधक आर के पाण्डेय एडवोकेट ने कहा कि यह बहुत ही दुःखद है कि भारतवर्ष के विगत लगभग 8 दशक के लोकतांत्रिक इतिहास में शिक्षा व्यवस्था तक को विभिन्न सरकारों, शिक्षा विभागों व राजनीतिक दलों ने जातिवादी व मजहबी व्यवस्था के साथ विशेष रूप से विभेदकारी बनाकर समाज में असमानता की स्थिति पैदा कर दी है। आर के पाण्डेय ने कहा कि सबसे बड़ा गंभीर सवाल यह है कि आखिर 1 राष्ट्र में 1 शिक्षा 1 व्यवस्था के तहत सबको 1 समान शिक्षा क्यों नहीं दी गई?उन्होंने सवाल उठाया कि हमारे देश भारत वर्ष में आईसीएससी,
आईएससी, सीबीएसई, स्टेट, संस्कृत, मदरसा बोर्ड बनाकर असमानता का वातावरण क्यों पैदा किया गया? क्या समाज का सबसे गरीब व्यक्ति अपने राज्य के सबसे अच्छे शिक्षालय में अपने बच्चे पढ़ा सकता है? और इसी तरह क्या समाज का सबसे वीआईपी व्यक्ति अपने बच्चों को राज्य के सबसे पिछड़े इलाके के सबसे पिछड़े विद्यालय में पढ़ा सकता है ? आखिर यह असमानता क्यों? इसके जवाब में स्वयं आर पाण्डेय एडवोकेट ने बताया कि उपरोक्त समस्या को दूर करने के लिए और 1 राष्ट्र, 1 शिक्षा, 1 व्यवस्था के तहत सबको 1समान शिक्षा और खास करके समाज के सभी निर्धन बेसहारा बच्चों को पूर्णतया निःशुल्क गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए 1 ईंट 1 रुपए के जन सहयोग से पीडब्ल्यूएस शिक्षालय का निर्माण किया जा रहा है।
बता दें कि पीडब्ल्यूएस शिक्षालय का मुख्य उद्देश्य आम जनमानस के बच्चों को बेहतर शिक्षा के साथ समाज के सभी निर्धन बेसहारा बच्चों को पूर्णतया निःशुल्क गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराना, समाज में शत प्रतिशत साक्षरता की व्यवस्था करना, अयोध्या दर्शनार्थियों को निःशुल्क ठहराव की व्यवस्था करना, सामाजिक सेवा कार्य को बढ़ावा देना तथा अपने राष्ट्र भारतवर्ष को एक शिक्षित, विकसित, आत्मनिर्भर विश्वगुरु राष्ट्र बनाना है।
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