गाजियाबाद में कारोबारी ने कर्ज होने की वजह से की आत्महत्या

1 min read

गाजियाबाद। कारोबारी अमरदीप ने इस आत्मघाती कदम उठाने से पहले तीन पेज का एक सुसाइड नोट लिखा। उस पर 11 मार्च 2024 की तारीख लिखी है। दो दिन बाद वारदात को अंजाम दिया। इससे साफ है कि अमरदीप काफी समय से इस वारदात को अंजाम देने के प्रयास में थे। सुसाइड नोट में अमरदीप ने लिखा वह इस जीवन में परिवार के लिए कुछ नहीं कर पाए। उन पर काफी कर्ज हो गया है। जिसे वह इस जीवन में तो नहींं उतार पाएंगे। उसकी मौत के बाद पत्नी या बेटे को कोई परेशानी न हो इसलिए वह उन्हें भी अपने साथ ले जा रहा है। घर का बड़ा बेटा हूं, परिवार के लिए कुछ नहीं कर पाया, मुझे माफ कर देना।
अमरदीप ने लिखा, काफी कर्ज होने की वजह से वह काफी परेशान है। मकान पिता के नाम पर है। भाई नवदीप और बहन मेघा से बिना पूछे मकान के कागज उसने बैंक में गिरवी रख दिए। बैंक से ऋण भी पास हो गया लेकिन अभी खाते में कोई रकम नहीं आई है। ऋण के संबंध में भाई-बहन राजी नहीं हुए तो उसकी हिम्मत टूट गई। इतनी हिम्मत नहीं बची थी कि उन्हें यह बता सकूं की मकान बैंक में गिरवी रख दिया है। भाई नवदीप तुम सिरोही जी से मकान के कागज ले लेना। जीते जी परिवार को दुख देने के अलावा कुछ नहीं किया। माता-पिता की मौत के बाद भाई-बहन को परेशान कर रहा हूं। आगे किसी को परेशानी न हो इसलिए मैं जा रहा हूं। यह मेरा आखिरी दिन है। जय श्री राम, भाई बहन को प्यार।

अमरदीप की डायरी में पूर्व के भी सुसाइड संबंधी बात लिखी मिली है। फरवरी में भी अमरदीप ने लिखा था कि उनका आखिरी दिन आ गया है। अब वह जीना नहीं चाहते।
चाची बोलीं, कोई परेशानी थी तो परिवार में बता देता बेटा
चाची संगीता ने बताया कि उनका भतीजा अमरदीप और सोनू उनसे बात नहीं किया करते थे। बृहस्पतिवार को उनका मन था कि वह उनसे बात करे। इसलिए उन्होंने सोनू को कई कॉल की लेकिन उसने कॉल नहीं उठाई और जब वह नवदीप की कॉल के बाद घर पहुंची तो उन्हें इसकी जानकारी हुई। उन्हें क्या पता था कि उनके साथ ऐसा होगा। संगीता ने कहा कोई परेशानी थी तो बेटा परिवार में बात कर लेता। ऐसा कदम उठाने की क्या जरूरत थी।

 

हंसता खेलता परिवार खत्म हो गया

मौके पर पहुंचे रिश्तेदार और आस पड़ोस के लोगों ने बताया कि अमरदीप का हंसता-खेलता परिवार था। यकीन नहीं हो रहा कि उन्होंने ऐसा कदम उठाया है। विनायक हंसता मुस्कराता रहता था। मोहल्ले में बच्चों के साथ खेलता था। वह दिव्यांग था।

You May Also Like

More From Author

+ There are no comments

Add yours