सऊदी अरब से हज यात्रियों के शवों को वापस क्यों नहीं भेजा जाता, जानिए मान्यताएं
रिपोर्ट — सिद्धार्थ शुक्ला
हर साल ईद-उल-अजहा के मौके पर दुनिया भर के लाखों मुसलमान हज करने के लिए सऊदी अरब के मक्का शहर की यात्रा करते हैं. मक्का मुसलमानों के लिए पवित्र स्थल है. इस्लाम धर्म को मानने वाले प्रत्येक मुस्लिम की जीवन में एक बार मक्का की यात्रा करने की तमन्ना होती है. इस साल भी दुनिया भर के लाखों मुसलमान हज के लिए मक्का की यात्रा पर पहुंचे. हालांकि, भीषण गर्मी के कारण सैकड़ों ने हज यात्रियों की मौत हो गई. मरने वालों में ज्यादातर बुजुर्ग बताए गए हैं. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, मक्का में हज यात्रा पर आए एक हजार से ज्यादा हाजियों की मौत हो चुकी है. इनमें करीब 100 भारतीय नागरिक हैं. इसके अलावा विभिन्न देशों के नागरिक शामिल हैं.
ऐसा चलन है कि हज यात्रा पर सऊदी अरब गए यात्रियों की अगर किसी वजह से मौत हो जाती है तो उनके शवों को वहीं दफना दिया जाता है. वापस उनके वतन नहीं लाया जाता है. इस्लाम धर्म मानने वालों में ऐसी मान्यता है कि अगर किसी व्यक्ति की हज यात्रा के दौरान मक्का में मौत हो जाती है तो अल्लाब उन्हें जन्नत नसीब करता है. हज समिति से जुड़े लोगों का कहना है कि रीति-रिवाजों के साथ सऊदी सरकार द्वारा हाजियों के शवों को दफन करने के लिए कुछ नियम-कानून भी बनाए गए हैं. यही वहज है कि मक्का में अंतिम सांस लेने वाले हज यात्रियों के शवों को उनके मूल देश नहीं भेजा जाता. स्थानीय अधिकारियों की ओर से शवों को सऊदी अरब में ही दफना दिया जाता है. बाद में परिजनों को मृत्यु प्रमाण पत्र भेज दिया जाता है.
सऊदी अरब के हरमैन शहर में हज यात्रियों के शवों को दफनाने की व्यवस्था की गई है. लेकिन अगर किसी मृत के परिजन शव की मांग करते हैं तो स्थानीय अधिकारियों द्वारा शव को उनके मूल देश भेजने की व्यवस्था भी की जाती है.वहीं, धार्मिक मान्यताएं पूरी करने बाद हज यात्री अपने-अपने वतन को लौट रहे हैं. शनिवार को कई भारतीय भी दिल्ली एयरपोर्ट पर पहुंचे. एक हज यात्री ने कहा कि उनकी हज यात्रा बहुत अच्छी रही. भारतीय समिति ने बहुत अच्छी व्यवस्थाएं की हैं. एक अन्य ने कहा कि मुझे बहुत अच्छा लग रहा है. हमारी हज यात्रा बहुत अच्छी रही. गर्मी के कारण बुजुर्ग लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा.
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