मुख्तार के खाने के नमूनों की जांच, सील बैरक खुलवाकर की गई पड़ताल, सवालों की लगी झड़ी…अफसरों को आया पसीना
मुख्तार की मौत के बाद चल रही जांच कई अधिकारियों के गले की फांस बन गई है। मामले की जांच के लिए गठित एक-दो नहीं बल्कि तीन कमेटियों के सवालों ने डॉक्टरों और जेल प्रशासन के पसीने छुड़ा रखे हैं। इसके बाद भी सवालों की झड़ी है कि खत्म होने का नाम नहीं ले रही है।
मुख्तार अंसारी की मौत के आठ दिन बाद बैरक खुलवाकर न्यायिक टीम ने बर्तनों से खाने के अवशेषों और पानी के सैंपल लिए, जिनको जांच के लिए भेज दिया गया। इसके अलावा टीम ने जेल में धीमा जहर देने के आरोपों के बाद निलंबित जेलर व दो डिप्टी जेलरों के बयान लिए। डॉक्टरों द्वारा दिए गए बयानों की कॉपी भी जांच टीम ले गई है। करीब चार घंटे टीम के सदस्यों ने साक्ष्य जुटाए
बांदा जेल में बंद मुख्तार अंसारी की 28 मार्च को मेडिकल कॉलेज में मौत हो गई थी। इस मामले में न्यायिक, मजिस्ट्रेट व विभागीय जांच हो रही है। शुक्रवार सुबह 11 बजे तीसरी बार एसीजेएम (प्रथम) गरिमा सिंह, एडीएम वित्त राजेश कुमार और फोरेंसिक टीम जेल पहुंची। सूत्र बताते हैं कि एसीजेएम प्रथम की मौजूदगी में मुख्तार की सील बैरक को खोला गया।
फोरेंसिक टीम ने बर्तनों से खाने (खिचड़ी) के अवशेष व बैरक में मिली अन्य खाने की सामग्री के नमूने लिए। बैरक में मिला पानी भी जांच के लिए भेजा गया है। बता दें कि मुख्तार ने 19 मार्च को अपने अधिवक्ता के जरिये बाराबंकी की कोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर खाने में धीमा जहर मिलाने का आरोप लगाया था। इसके बाद जेलर योगेश कुमार, डिप्टी जेलर अरविंद कुमार व राजेश कुमार को शासन ने निलंबित दिया था।
कुछ बंदी रक्षकों के भी बयान लिए
शुक्रवार को इन तीनों के बयान दर्ज किए गए। कुछ बंदी रक्षकों के भी बयान लिए गए। जेल सूत्रों के अनुसार न्यायिक मजिस्ट्रेट व एडीएम ने विभागीय जांच के दौरान उपचार करने वाले तीन चिकित्सक हदेश पटेल (फिजीशियन), डॉ. अदिति श्रीवास्तव (सर्जन), डॉ. शिशिर चतुर्वेदी की ओर से दिए गए बयानों की कॉपी ली। डॉक्टरों ने माना है कि 27 मार्च को मुख्तार की तबीयत ज्यादा खराब थी।
लगी सवालों की झड़ी तो छूटने लगे पसीने
मुख्तार की मौत के बाद चल रही जांच कई अधिकारियों के गले की फांस बन गई है। मामले की जांच के लिए गठित एक-दो नहीं बल्कि तीन कमेटियों के सवालों ने डॉक्टरों और जेल प्रशासन के पसीने छुड़ा रखे हैं। इसके बाद भी सवालों की झड़ी है कि खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। इसी कड़ी में शुक्रवार को न्यायिक व मजिस्ट्रेटी जांच टीम ने तीसरी बार मंडल कारागार का रुख किया।
चार घंटे तक कारागार में रही टीम
करीब चार घंटों तक टीम कारागार में रही। इस दौरान न सिर्फ महत्वपूर्ण साक्ष्य ही जुटाए गए, बल्कि वरिष्ठ जेल अधीक्षक वीरेश राज शर्मा के अलावा हाल ही में मुख्तार की सुरक्षा में लापरवाही बरतने पर निलंबित जेलर योगेश कुमार, डिप्टी जेलर अरविंद कुमार व राजेश कुमार के सामने सवालों का पहाड़ खड़ा किया, तो सभी पसीने पोछतें नजर आए। जेल के भीतर कितने सवाल हुए और उनके क्या जवाब दिए है।
सवाल- 26 की रात मुख्तार को बैरक के बजाए जेल के अस्पताल में क्यो नहीं भेजा गया।
जवाब- मेडिकल कॉलेज से ऐसी कोई सलाह नहीं दी गई थी, तबीयत में भी सुधार था।
सवाल- जेल के डॉक्टरों ने मुख्तार की क्या जांच की।
जवाब- अक्सर ब्लड प्रेशर और शुगर की जाती रही है। एक बार मोतियाबिंदु भी चेक कराया गया।
सवाल- जेल में खाने का रोज सैंपल लिया जाता हैं या नहीं।
उत्तर- सैंपल नहीं लिया जाता है। खाना खाकर खाकर उसे जांचा जाता है।
सवाल- 27 मार्च को मुख्तार को मेडिकल कॉलेज क्यों नहीं भेजा गया।
जवाब- सर तबीयत में सुधार होने के कारण नहीं भेजा गया था।
सवाल- खाने में धीमा जहर देने का आरोप है।
जवाब- आरोप बेबुनियाद हैं, ऐसा होता तो कोई बंदी भी बीमार पड़ सकता था।
सवाल- मुख्तार का खाना तैयार करने वाले रसोइए से कभी जहर के बारे में पूछताछ हुई।
जवाब- इसकी कभी जरूरत नहीं महसूस की गई, क्योकि ऐसा कुछ था ही नहीं।
सवाल- जहर के आरोप के बाद जेल अधिकारियों को क्यो निलंबित किया गया।
जवाब- जांच के दौरान कुछ लोग लापरवाही करते पाए थे, इस पर कार्रवाई हुई थी।
सवाल- इससे पहले कोई रसोईया अथवा कोई कर्मचारी भी बीमार पड़ा है। (अफजाल के आरोप के आधार पर)
जवाब- मामूली रूप से कोई हो तो बताया नहीं जा सकता, अभी तक कोई गंभीर नहीं हुआ।
सवाल- जेल में बाहर से दूध, सब्जी, आटा, चावल कहां से आता है, गुणवत्ता की कोई जांच होती है।
जवाब- इसके लिए बनी कमेटी अपना पूरा काम ठीक से कर रही है।
सवाल- जेल में बंदियों के लिए स्वच्छ पेयजल का क्या इंतजाम है।
जवाब- बोरिंग के अलावा वाटर कूलर और बैरक में मटके भी साफ कराकर रखे जाते हैं।
बीएसएनएल मुख्यालय को लिखा एसपी ने पत्र
मुख्तार की मौत के कुछ घंटे बाद ही जेल अधीक्षक वीरेश राज को मिली धमकी के मामले में बीएसएनएल के मुख्यालय से मदद ली जा रही है। एसपी अंकुर अग्रवाल ने मुख्यालय को पत्र लिखकर 0135 नंबर की पूरी जानकारी मांगी है। हालांकि पुलिस का मानना है कि कॉल इंटरनेट के माध्यम से की गई है। लिहाजा उसका पता लगाने में कुछ वक्त लग सकता है। बता दें कि बीते सोमवार को जेल अधीक्षक ने कोतवाली में मामला दर्ज कराया था कि उन्हें 0135 कोड वाले नंबर से जान से मारने की धमकी दी गई थी। इसके बाद से पुलिस मामले की जांच में जुटी रही।
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