एक देश एक चुनाव संविधान और लोकतंत्र के खिलाफ, कांग्रेस ने कहा- भंग हो समिति
कांग्रेस ने एक देश एक चुनाव को संघीय ढांचे के खिलाफ बताते हुए कहा है कि यह प्रस्ताव संविधान की बुनियादी संरचना के खिलाफ भी है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने उच्चाधिकार प्राप्त कोविंद समिति के सचिव नितेन चंद्रा द्वारा 18 अक्टूबर को लिखे गए पत्र का जवाब देते हुए एक देश एक चुनाव का विरोध करने का स्पष्ट ऐलान किया है
कांग्रेस ने एक देश एक चुनाव को संघीय ढांचे के खिलाफ बताते हुए कहा है कि यह प्रस्ताव संविधान की बुनियादी संरचना के खिलाफ भी है। एक देश एक चुनाव के प्रस्ताव पर विचार करने के लिए सरकार द्वारा गठित उच्चाधिकार प्राप्त समिति को पूर्वाग्रह से ग्रसित होने की बात कहते हुए पार्टी ने इसे भंग करने की मांग की है।
कांग्रेस ने एक देश एक चुनाव का विरोध करने का किया एलान
पार्टी ने समिति के अध्यक्ष पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से अनुरोध किया है कि उन्हें सुनिश्चित करना चाहिए कि भारत के पूर्व राष्ट्रपति की हैसियत और उनके कार्यालय का केंद्र की सरकार दुरूपयोग न करे। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने उच्चाधिकार प्राप्त कोविंद समिति के सचिव नितेन चंद्रा द्वारा 18 अक्टूबर को लिखे गए पत्र का जवाब देते हुए एक देश एक चुनाव का विरोध करने का स्पष्ट एलान किया है।
खरगे ने वित्तीय बचत क बताया निराधार
प्रस्ताव को लेकर समिति के पूर्वाग्रह से ग्रसित होने का इशारा करते हुए खरगे ने पत्र में कहा है कि ऐसा लगता है कि समिति ने पहले ही अपना मन बना लिया है और सलाह-मशविरे की प्रक्रिया दिखावा नजर आ रही है। चुनाव पर अधिक धन खर्च करने के तर्क को खारिज करते हुए खरगे ने कहा कि वित्तीय बचत के लिए एक साथ चुनाव कराने की बात सुनकर आश्चर्यजनक और निराधार है।
उन्होंने कहा कि पिछले लोकसभा चुनाव का खर्च बीते पांच साल के कुल केंद्रीय बजट का 0.02 प्रतिशत से भी कम है। विधानसभा चुनावों का खर्च भी उनके राज्य बजट के हिसाब से इसी अनुपात में है। लोकतंत्र कायम रखने के लिए स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों की लागत के रूप में लोग इस छोटी राशि पर विचार करने के लिए तैयार होंगे। 2014 के लोकसभा चुनाव में खर्च 3870 करोड़ रुपये खर्च हुआ जिसे समिति बहुत अधिक होने का दावा करती है।
खरगे ने इन्हीं तकों के आधार पर एक देश एक चुनाव का विरोध करते हुए उच्चाधिकार प्राप्त समिति को भंग करने की मांग उठाई है। समिति के गठन पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि यह पक्षपातपूर्ण है क्योंकि इसमें तमाम राज्य सरकारों और प्रमुख विपक्षी दलों को पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया है जो इसकी सिफारिशों से प्रभावित होंगे।
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