फर्रुखाबाद माघ मेले में गुरुवार रात आग लगने से मची अफरा-तफरी

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राम नगरिया मेले में बीती रात हुए हादसे से अफरा-तफरी मची रही। लोगों ने एक के बाद एक सिलेंडर फटने से तेज धमाके हुए। आग की लपटें पुल को छू रहीं थी। वहीं, आग की भयावह उठतीं लपटों के आगे फायर ब्रिगेड की गाड़ियों का पानी मिनटों में ही खत्म हो गया।
फर्रुखाबाद माघ मेला श्री रामनगरिया में गुरुवार रात आग लगने से अफरा-तफरी का माहौल हो गया। आग की परिधि में फंसे लोगों को निकालने के लिए कल्पवासी चिल्लाते रहे। आग की विकरालता इतनी थी कि लपटें पुल को छू रहीं थीं। गैस सिलेंडर फटने से लोगों के दिन दहल गए। पीड़ित एक ओर भगवान का शुक्र अदा करते रहे, तो दूसरी ओर अनजाने कृत्यों की सजा बता रहे थे।
हादसे के बाद सुबह तक अफरा-तफरी का माहौल रहा। लोगों ने बताया कि धमाके इतने तेज थे, लगा कि पुल गिर गया हो। पांचाल घाट गंगा तट पर मेला रामनगरिया में गंगा पुल के पश्चिमी ओर कल्पवास क्षेत्र लगता है। पूर्वी ओर मनोरंजन के साथ ही प्रशासनिक क्षेत्र लगाया जाता रहा है। इस बार बड़ी संख्या में पुल के पूर्वी ओर भी राउटियां लगाई गई।


पुल के ऊपर से गुजरी बिजली की लाइन से टपकी जलती हुई रबर से देर रात हादसा हो गया। आग से घिरी राउटियों से निकले कौशल किशोर, सत्यवती, लीला आदि बदहवास रहे। एंबुलेंस से उनको लोहिया अस्पताल ले जाया गया। हरदोई के बडे लला, सुमित मिश्रा, राघवेंद्र आदि ने बताया कि गैस सिलेंडर फटने के दौरान ऐसा लगा कि पुल गिर गया हो। तेज धमाकों के साथ हुई आवाज ने सभी को गहरी नींद से जगा दिया।
राख से सामान निकालने पहुंचे लोग
मेला में लगी आग पूरी तरह से नहीं बुझी। लोग राख से अपना सामान निकालने पहुंचे। धुंआ उठता देख, मौजूद पीएसी के जवानों ने लोगों को वहां से हटने के लिए कहा। जमीन में गड़े गैस सिलेंडरों को उखाड़ने के दौरान उनमें से लीक हो रही गैस को देखते हुए उन्हें गंगा में फेंक दिया गया। पीएसी जवानों ने शाम को लोगों को गंगा तट पर जाने से रोक दिया। इस पर कल्पवासियों ने फायर ब्रिगेड की गाड़ी को दोबारा बुलाने की मांग की।

आग लगने की सूचना पर मनोरंजन क्षेत्र और कल्पवास क्षेत्र में खड़े फायर टेंडर आग बुझाने पहुंचे। आग की भयावह उठतीं लपटों के आगे दोनों गाड़ियों का पानी मिनटों में ही खत्म हो गया। फतेहगढ़ की गाड़ी में मेला कार्यालय पर लगी सबमर्सिबल पंप से पानी भरा गया। वहीं, कन्नौज की गाड़ी में गंगा में पाइप डालकर पानी लिया गया। कन्नौज के फायर दरोगा महिपाल सिंह ने पंप लगाकर आग वाले क्षेत्र में हवा के बहाव के साथ छिड़काव कराया। दो घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया जा सका।
1986 से हुआ मेले का सरकारीकरण, नहीं हुआ ऐसा हादसा
यूं तो मेला वर्ष 1955 से लगता चला आ रहा है। समिति के तहत पहली बार वर्ष 1986 में मेले का आयोजन किया गया। जिला प्रशासन ने इसके आयोजन में भागीदारी की। तत्कालीन मुख्यमंत्री एनडी तिवारी ने भी मेले में आकर सरकारी इमदाद देने की घोषणा की थी। तब से अब तक छुटपुट घटनाओं को छोड़कर कभी भी बड़ा हादसा नहीं हुआ। इस बार भी मेले में चार स्थानों पर आगजनी की घटनाएं हुई, लेकिन गुरुवार को हुई घटना ने दिल को दहला दिया

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