15 साल बाद लौटे अखिलेश ने जीत का चौका लगाकर हासिल की विरासत

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निर्वाचित सांसद का प्रमाण पत्र लेने कन्नौज पहुंचे अखिलेश, 15 साल बाद लौटकर लगाया जीत का चौका
कन्नौज संसदीय सीट पर अखिलेश यादव और सुब्रत पाठक के बीच यह दूसरा मुकाबला था। इसके पहले दोनों के बीच 2009 के चुनाव में मुकाबला हुआ था। सुब्रत का वह पहला चुनाव था। तब अखिलेश यादव जीते थे। सुब्रत पाठक उस चुनाव में तीसरे नंबर पर रहे थे।
सपा प्रमुख अखिलेश यादव कन्नौज से निर्वाचित सांसद का प्रमाण पत्र लेने पहुंचे हैं। इस दौरान शहर भर में गजह-जगह उनका जोरदार स्वागत किया गया। कलक्ट्रेट में डीएम ने अखिलेश यादव को प्रमाण पत्र सौंपा है। बता दें कि इत्रनगरी से ही सियासी कॅरियर का आगाज करके जीत की हैट्रिक लगाने वाले सपा मुखिया अखिलेश यादव 15 साल बाद फिर से इत्रनगरी से लौटे और जीत का चौका लगा डाला।
पिछले चुनाव में यहां मिली हार का बदला लेते हुए रिकॉर्ड वोटों से जीत हासिल करके सपा का गढ़ भी वापस हासिल कर लिया। सपा का मुखिया बनने से पहले अखिलेश यादव ने सियासत का ककहरा इत्रनगरी की गलियों में ही सीखा था। अब से 24 साल पहले वर्ष 2000 में हुए उपचुनाव में पहली बार यहां से ताल ठोकने वाले अखिलेश यादव ने उसी चुनाव से जीत का आगाज भी कर दिया था।
2019 में हैट्रिक लगाने से चूक गई थीं डिंपल
उसके बाद वह 2004 और 2009 के चुनाव में भी लगातार जीते। इस सीट से हैट्रिक लगाने वाले वह इकलौते सांसद हैं। 2012 में सपा को जनादेश मिला तो उन्होंने मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली। सांसद सीट से इस्तीफा देकर पत्नी डिंपल यादव को उम्मीदवार बनाया। वह निर्विरोध ही चुनाव जीत गईं। उन्होंने 2014 में भी इस सीट पर जीत को दोहराया। हालांकि 2019 के अपने तीसरे चुनाव में वह पति अखिलेश यादव की तरह हैट्रिक लगाने से चूक गई थीं।


अखिलेश यादव ने रिकॉर्ड वोटों से हराया
उसके बाद वह मैनपुरी चली गईं और यहां अखिलेश यादव आ गए। दोनों ने जीत हासिल करके पार्टी के गढ़ को बरकरार रखा है। सियासी गलियारे में कहा जा रहा है कि अखिलेश यादव ने सुब्रत पाठक को हराकर पिछली हार का बदला भी पूरा कर लिया है। तब सुब्रत नजदीकी मुकाबले में जीते थे। अब अखिलेश यादव ने रिकॉर्ड वोटों से हराया है।
अखिलेश-सुब्रत में दूसरी टक्कर, दोनों बार हारे पाठक
कन्नौज संसदीय सीट पर अखिलेश यादव और सुब्रत पाठक के बीच यह दूसरा मुकाबला था। इसके पहले दोनों के बीच 2009 के चुनाव में मुकाबला हुआ था। सुब्रत का वह पहला चुनाव था। तब अखिलेश यादव जीते थे। सुब्रत पाठक उस चुनाव में तीसरे नंबर पर रहे थे। अब 15 साल बाद फिर से दोनों आमने-सामने आए। फिर से बाजी अखिलेश यादव के ही हाथ लगी। इस सीट से सुब्रत पाठक का यह लगातार चौथा चुनाव थ, इसमें उन्हें तीसरी बार हार मिली है।
सपा को रिकॉर्ड आठवीं जीत, 1998 से शुरू हुआ जीत का सिलसिला
कन्नौज संसदीय सीट पर सपा की यह रिकॉर्ड आठवीं जीत है। सबसे पहले 1998 के चुनाव में सपा ने यहां जीत दर्ज की थी। तब प्रदीप यादव सांसद चुने गए थे। उसके बाद 1999 में सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव यहां से लड़े और जीते। उस चुनाव में संभल से भी चुनाव जीते थे। कन्नौज से उन्होंने इस्तीफा दिया और 2000 के उपचुनाव में अखिलेश यादव पहली बार जीते। 2004 और 2009 में भी अखिलेश यादव जीते। 2012 के उपचुनाव में डिंपल यादव जीतीं। वह 2014 में भी सांसद बनीं। 2019 में सपा की जीत का सिलसिला थमा। पांच साल बाद फिर से अखिलेश यादव ने यह सीट सपा की झोली में डाल दी है
पहले तेज प्रताप को बनाया था उम्मीदवार, फिर बदला फैसला
अखिलेश यादव ने नामांकन प्रक्रिया के दौरान यहां से पहले अपने भतीजे प्रताप यादव को उम्मीदवार बनाया था। लेकिन यहां कार्यकर्ताओं से मिले फीडबैक और समर्थकों की मनुहार के बाद उन्हें अपना फैसला बदलना पड़ा। जिले भर में मची उथलपुथल ने सपा के थिंकटैंक को अपना फसला बदलने पर मजबूर कर दिया। कन्नौज से लेकर लखनऊ तक की दौड़ होती रही। पार्टी के रणनीतिकारों तक संदेश पहुंचाया गया। लगातार मिल रहे फीडबैक के आधार पर पार्टी आलाकमान ने फैसला बदलने का मन बना लिया। नामांकन के आखिरी दिन से ठीक पहले तेज प्रताप यादव की जगह पर अखिलेश यादव के नामांकन का ऐलान हुआ। भाजपा ने इसे लेकर सपा पर खूब कटाक्ष भी किया था।

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