नेताजी के ‘दस रुपइया’ से एक बोतल शराब, चौंकाने वाला खुलासा; वोटरों को खुश करने के लिए नए रास्ते का पता चला
नेताजी के ‘दस रुपइया’ से एक बोतल शराब मिल रही है। दस रुपये का ‘खास’ नोट दिखाने पर यह शराब मिल रही है। छापों में शराब की जब्ती के बीच खुलासा हुआ है। हवाला की तर्ज पर वोटरों को शराब दी जा रही है।
दस के नोटों की सीरीज ही ‘कोडवर्ड’ है। हर दल और प्रत्याशी की अलग सीरीज है। जिसे शराब देनी होती है, उसे दस का ‘खास’ नोट दिया जाता है। उस नोट को दिखाकर दुकान से शराब मिल जाती है। छापों में शराब की जब्ती के दौरान सप्लाई के इस रास्ते की पहचान हुई। चुनाव किसी भी दौर के हों, शराब हमेशा चर्चा में रहती है। शराब का वोटरों पर खासा असर पड़ता है। खास तौर पर ग्रामीण, पिछड़े और गरीब वर्ग में। सुरा प्रेमियों की इस कमजोर ‘नब्ज’ को नेता खूब जानते हैं इसीलिए चुनावी सीजन में कार्यकर्ताओं से लेकर वोटरों तक पर शराब पर पैसा पानी की तरह बहाया जाता है।
इस बार भी शराब पर पैसा जमकर खर्च किया गया लेकिन जिला निर्वाचन अधिकारियों की चौकसी ने रंग में भंग डाल दिया।
हवाला की तरह दस के नोट से शराब का एक्सचेंज
गत्तों, गाड़ियों और कारों में शराब की थोक सप्लाई पर सख्त निगरानी के बाद ‘दस के नोट’ लांच किए गए। आमतौर पर दस के नोट का इस्तेमाल हवाला में होता है। हवाला में नोट देखकर सामान डिलीवर कर दिया जाता है
ठीक उसी फार्मेट में दस के नोटों की हजारों गड्डियां हर प्रत्याशी या राजनीतिक दलों ने लीं। हर गड्डी का सीरियल नंबर अपने पास नोट किया। फिर कार्यकर्ता से लेकर मतदाता तक को दस के नोट प्रतिदिन के हिसाब से दिए गए।
विधानसभा क्षेत्र में शराब की दुकानों को पहले ही एडवांस रकम पहुंचा दी गई। ब्रांड बता दिया गया और सीरीज के नंबर की लिस्ट दे दी गई। दस का खास नोट लेकर जो दुकान जाएगा, दुकानदार बिना कहे शराब दे देगा। जिस नेता की जो सीरीज होगी, उसमें शराब का पैसा कट जाएगा।
साथ ही ग्राहक से मिले दस के नोट नेताजी के पास पहुंच जाएंगे। जितने नोट वापस आएंगे, उतनी ही शराब की बिक्री मानी जाएगी। शराब बांटने और पकड़ने की सक्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अभी तक करीब सात लाख लीटर शराब पकड़ी जा चुकी है।
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