हाथरस भगदड़: कानपुर में भोले बाबा के आश्रम में पसरा सन्नाटा, सेवादार ताला लगाकर भागे
हाथरस कांड के बाद बाबा साकार विश्वहरि उर्फ भोले बाबा की तलाश में बुधवार को बिधनू के करसुई गांव स्थित आश्रम में पुलिस के पहुंचने के बाद सेवादार ताला बंदकर भाग गए। आश्रम में खाना बनाने वाली कुछ महिलाएं ही रुकी थीं। गुरुवार सुबह भी पुलिस के पहुंचने पर महिलाएं भी आश्रम के पीछे वाले रास्ते से निकल गईं। आश्रम पूरी तरह खाली हो गया है। बिधनू थाना प्रभारी जितेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि गुरुवार को पुलिस गई थी, लेकिन आश्रम में कोई नही मिला। क्षेत्रीय लोगों से पूछताछ की गई है।
हाथरस में सत्संग में शामिल होने के लिए बिधनू के चार गांवों के करीब 70 लो गए थे। कठुई, अफजलपुर, डहरीपुरवा और हाजीपुर में रहने वाले इन लोगों ने बताया कि बस से हाथरस गए थे। सत्संग के बाद भीड़ उमड़ने का अनुमान था। ऐसे में हम लोग पहले ही निकल आए थे। कुछ देर हो जाती तो अनहोनी हो जाती।
सत्संग से लौटी कठुई गांव की पूर्व ग्राम प्रधान पूनम कुशवाहा ने बताया कि वह पहली बार सत्संग में गई थीं। आरती खत्म होने के बाद मैदान से बाहर निकलने के दौरान अचानक भगदड़ मच गई। वह एक बल्ली को पकड़ कर खड़ी हो गईं। जब भगदड़ शांत हुई तो चारों तरफ चीख-पुकार मची हुई थी। लोगों के शव जमीन पर पड़े हुए थे। तीन घंटे बाद वह बस में पहुंच सकीं।
बिधनू के डहरी पुरवा निवासी सोनम यादव ने बताया कि वह पिता जगराम के साथ पहली बार हाथरस के सत्संग में गईं थीं। आरती के बाद बाबा के कुर्सी से उठने से पहले ही वह सत्संग स्थल से बाहर निकल आई थीं। उसके दस मिनट बाद ही भगदड़ मच गई और हादसे में सैकड़ों लोगों की जान चली गई। उन्होंने कहा कि बाहर निकलने में दस मिनट देर हो जाती तो शायद जिंदा नहीं बचते।
डहरी पुरवा गांव निवासी जगराम यादव ने बताया कि वह बाबा साकार विश्वहरि के सत्संग में कई बार शामिल हो चुके हैं। इसके चलते उन्हें आरती के बाद भीड़ के एक साथ निकलने का अंदाजा पहले से ही था। इसलिए वह पहले ही सत्संग स्थल से बाहर आकर बस में बैठ गए थे। उसके कुछ देर बाद ही अचानक चीख-पुकार के साथ शोर मचने लगा। कठुई गांव निवासी विनोद ने बताया कि सत्संग के बाद बाबा साकार विश्वहरि के जाने बाद उनकी पैरों की धूल के लिए अचानक भीड़ बेकाबू हो गई। इसके बाद जो जमीन में गिरा, वो भीड़ के पैरों तले दबकर मर गया। उस मंजर को याद कर विनोद की आंखें नम हो गईं।
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