सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को हमनाम उम्मीदवारों से जुड़ी एक याचिका को किया खारिज

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किसी का नाम राहुल गांधी या लालू यादव है तो वो चुनाव नहीं लड़ सकता? सुप्रीम कोर्ट का हमनाम उम्मीदवारों पर फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को हमनाम उम्मीदवारों से जुड़ी एक याचिका को खारिज कर दिया है. याचिका में मांग की गई थी कि चुनाव लड़ने वाले हमनाम उम्मीदवारों के मुद्दे को लेकर एक प्रभावी तंत्र की जरूरत है और चुनाव आयोग को इस पर निर्देश दिए जाने चाहिए. आइए जानते हैं कि हमनाम उम्मीदवारों को लेकर भारत में क्या नियम हैं
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को हमनाम उम्मीदवारों से जुड़ी एक याचिका को खारिज कर दिया है. याचिका में मांग की गई थी कि चुनाव लड़ने वाले हमनाम उम्मीदवारों के मुद्दे को हल करने के लिए एक प्रभावी तंत्र की जरूरत है. इस ओर आगे कदम उठाने के लिए चुनाव आयोग को निर्देश दिए जाने चाहिए. हमनाम उम्मीदवार वे होते हैं, जिनका नाम किसी दूसरे उम्मीदवार से मिलता-जुलता होता है.
याचिकाकर्ता ने दावा किया कि प्रतिद्वंद्वी राजनीतिक पार्टियां जानबूझकर हमनाम वाले कैंडिडेट को मैदान में उतारती हैं. इसके बदले हमनाम उम्मीदवार को पैसे, सामान समेत कई तरह के फायदे मिलते हैं. ऐसे मामले में मतदाता में मन में भी भ्रम पैदा होता है. याचिका में इससे निपटने के लिए एक प्रभावी मैकेनिज्म की मांग की गई. कंडक्ट ऑफ इलेक्शन रूल्स, 1961 के नियम 22(3) का हवाला भी दिया गया. आइए समझते हैं पूरा मामला.

दो उम्मीदवारों का एक जैसा नाम होने पर नियम क्या कहता है?
याचिकाकर्ता साबू स्टीफन की ओर से एडवोकेट वीके बीजू अदालत में पेश हुए थे. याचिका में कहा गया कि हाई प्रोफाइल सीटों पर मिलते-जुलते नाम वाले दूसरे उम्मीदवार को चुनाव में उतारने से वोटरों के मन में कन्फ्यूजन पैदा होता है. एक जैसे नाम के कारण लोग गलत कैंडिडेट को वोट करते हैं और सही उम्मीदवार को नुकसान होता है. बीजू ने मुद्दे को ‘बेहद गंभीर’ बताते हुए कंडक्ट ऑफ इलेक्शन रूल्स, 1961 के नियम 22(3) का हवाला दिया था. अब समझते हैं कि यह नियम क्या कहता है. कंडक्ट ऑफ इलेक्शन रूल्स, 1961 का सेक्शन 22 बैलट पेपर के बारे में बात करता है
सेक्शन 22 (2) कहता है कि उम्मीदवारों के नाम (बैलट पेपर पर) उसी क्रम में लिखे जाएंगे जिस क्रम में वे चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों की सूची में दिखाई देते हैं. वहीं, सेक्शन 22 (3) में कहा गया है कि यदि दो या दो से ज्यादा उम्मीदवारों का नाम एक ही है, तो उन्हें उनके व्यवसाय या निवास के अलावा या किसी अन्य तरीके से अलग किया जाएगा. कंडक्ट ऑफ इलेक्शन रूल्स, 1961 के नियम 30(3) में भी यही बात कही गई है.

लोकसभा चुनाव 2024 में ही सामने आया हमनाम उम्मीदवार का मामला
याचिकाकर्ता ने हमनाम उम्मीदवारों को लेकर लोकसभा चुनाव 2024 का ही एक उदाहरण दिया है. इस साल तमिलनाडु की एक लोकसभा सीट पर पांच पनीरसेल्वम मैदान में हैं. दरअसल, तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री ओ पन्नीरसेल्वम (OPS) रामनाथपुरम सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं. उस सीट पर उनके जैसे नाम वाले 4 चार और व्यक्ति चुनाव में खडे़ हैं. रिपोर्ट्स के मतुाबिक, रामनाथपुरम सीट से पूर्व मुख्यमंत्री ओ पन्नीरसेल्वम के अलावा ओचप्पन पन्नीरसेल्वम, ओय्या थेवर पन्नीरसेल्वम, ओचा थेवर पन्नीरसेल्वम और ओय्याराम पन्नीरसेल्वम ने नामांकन कराया है.
सुप्रीम कोर्ट ने हमनाम उम्मीदवारों परक्या फैसला सुनाया?
न्यायमूर्ति बी.आर. गवई, सतीश चंद्र शर्मा और संदीप मेहता की तीन-न्यायाधीशों की पीठ के सामने यह याचिका रखी गई थी. पीठ ने याचिक पर कहा, ‘अगर किसी किसी का नाम राहुल गांधी या लालू यादव है तो उन्हें चुनाव लड़ने से कैसे रोका जा सकता है? इससे उनके अधिकारों पर असर पड़ेगा.’ बेंच ने याचिकाकर्ता से पूछा कि अगर किसी के माता-पिता ने किसी अन्य से मिलता-जुलता नाम दिया है, तो क्या यह उनके चुनाव लड़ने के अधिकार में बाधा बन सकता है. इसके बाद वकील ने पीठ से याचिका वापस लेने की इजाजत मांगी और पीठ ने इसकी इजाजत दे दी.

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