पूर्वांचल के डॉन कहे जाने वाले माफिया मुख्तार अंसारी की जिंदगी के आखिरी नौ दिन उसे मौत की आगोश में कब ले गए, उसे पता ही नहीं चला। 20 से 28 मार्च के वह नौ दिन, मुख्तार की जिंदगी पर किस कदर भारी पड़ रहे थे, यह माफिया को तो पता था, लेकिन उसके घरवालों को नहीं।
20 मार्च को कोर्ट में माफिया की ओर से जहर देने की जो शिकायत की गई, वह उसकी जिंदगी की आखिरी शिकायत थी बल्कि मौत की ओर बढ़ा उसका पहला कदम कहा जाए तो गलत न होगा।
मुख्तार के वकील की ओर से की गई शिकायत का असर यह रहा कि 24 मार्च को शासन के आदेश पर मंडलीय कारागार के दो डिप्टी जेलर समेत तीन लोगों को लापरवाही के आरोप में निलंबित कर दिया गया। इसके बाद 25 मार्च की वह काली रात भी आई, जब तीन बजे अचानक मुख्तार के पेट में दर्द उठा तो जेल प्रशासन के हाथ पांव फूल गए।
आनन-फानन जिला अस्पताल से डॉक्टरों की टीम बुलाकर स्वास्थ्य परीक्षण कराया गया और फिर 26 की सुबह उसे मेडिकल कॉलेज में भर्ती करा दिया गया। डॉक्टरों के मुताबिक उसे ज्यादा खाना खाने से कब्ज की शिकायत थी।
पेट भी फूल रहा था। करीब 14 घंटे के इलाज के बाद डॉक्टरों ने उसकी हालत में सुधार बताकर उसे वापस जेल भेज दिया। यही वह पल थे, जब मुख्तार की जिंदगी मौत की ओर तेजी से दौड़ रही थी।
बांदा मेडिकल कॉलेज में पोस्टमार्टम खत्म हो गया है। मुख्तार की गुरुवार को हार्ट अटैक से मौत हो गई थी, जबकि परिवार वाले धीमा जहर देकर मारने का आरोप लगा रहे हैं। डॉक्टरों के मेडिकल बोर्ड ने कैमरे के सामने शव का पोस्टमार्टम किया
परिवार को शव मिलने के बाद 26 वाहनों का काफिला पुलिस सुरक्षा में गाजीपुर के लिए निकल गया है। बांदा , चित्रकूट और वाराणसी होते हुए मुख्तार का शव गाजीपुर पहुंचेगा। जेल में बंद दूसरे बेटे अब्बास अंसारी की तरफ से पेरोल की अर्जी को हाईकोर्ट ने सुनने से मना कर दिया है।
+ There are no comments
Add yours