व्यापार मंडल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डी पी गुप्ता ने जिला अधिकारी सुल्तानपुर को सौंपा ज्ञापन

Estimated read time 1 min read

व्यापार मंडल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डी पी गुप्ता ने जिला अधिकारी सुल्तानपुर को सौंपा ज्ञापन

समाज को गुणवत्ता युक्त खाद्य पदार्थ व मिठाई आदि उपलब्ध कराने वाले कारोबारियों की पीड़ा को किया साझा

सुलतानपुर। भारतीय उद्योग किसान व्यापार मंडल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डी पी गुप्ता एड पत्रकार ने युवा जिला प्रभारी अरविंद चौरसिया व युवा जिला उपाध्यक्ष राजन गुप्ता के जरिए जिला अधिकारी महोदया को ज्ञापन देकर शहर के मिठाई व्यापारियों की समस्याओं को दूर करने की मांग की। जिला व्यापार बंधु व व्यापारी कल्याण समिति की बैठक में दिये गए ज्ञापन में उन्होंने मांग कि शहर के जीएसटी रजिस्टर्ड व प्रशासन द्वारा कारोबार करने का हर लाइसेंस प्राप्तशुदा, टैक्स पेयर्स मिठाई कारोबारियों के साथ अपराधियों जैसा बर्ताव कर उनकी साख को मीडिया के माध्यम से नुकसान पहुंचाने का कुत्सित प्रयास हो रहा है। सुल्तानपुर में अनेक मिठाई कारोबारी हैं जिनका प्रतिष्ठान 50-60 साल पुराना है और वे पीढ़ियों से यह कारोबार करते हुए समाज में अपनी गुणवत्ता को लेकर काफी सम्मान अर्जित कर चुके हैं।

इसी के साथ ये कारोबारी सरकार को राजस्व के रूप में लाखों करोड़ों रुपए टैक्स प्रदान करते चले आ रहे हैं। भाजपा सरकार प्रदेश की अर्थ व्यवस्था मजबूत करने के लिए ईज आफ डूइंग बिजनेस और वोकल फार लोकल की नीति पर काम कर रही है अतः जिला प्रशासन को लोकल कारोबारियों की साख को बर्बाद होने से बचाने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाना चाहिए।

राष्ट्र और प्रदेश स्तर पर बीसों साल से प्रसिद्ध हो चुकी जनपद की चुनिंदा मिठाई को वोकल फार लोकल नीति के तहत संरक्षित व बढ़ावा देने की भी मांग किया। प्रदेश में ईज आफ डूइंग बिजनेस पालसी लागू होने से नये नये लोगों को कारोबार करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है, ऐसे में जिले में पहले से ही स्थापित प्रतिष्ठित लोकल व्यापारी हतोत्साहित न हों इसके लिए पीत पत्रकारिता करने वालों के उत्पीड़न से उन व्यापारियों को प्रशासन द्वारा सुरक्षित किया जाना अति आवश्यक है ।

विदित हो कि हर मिठाई के दुकानदार को अपने बिजनेस की गुडविल बनाने में बीसों साल लग जाते हैं, फूड विभाग को उनकी साख के साथ छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए।बिना अपराध साबित हुए जांच के ही दिन ही उनका नाम मीडिया में एक अपराधी की तरह उछाल कर उनकी वर्षों की मेहनत से बनी साख को बर्बाद न किया जाए। इसी के साथ हर लाइसेंसधारी रजिस्टर्ड दुकानदार की प्रतिष्ठा और साख का सम्मान करते हुए दुकान से लिए गये नमूने जब-तक लैब की जांच में फेल न हो तब तक उस दुकान का नाम व फोटो मीडिया में उजागर न किया जाए। एक जीएसटी रजिस्टर्ड दुकानदार जो कि सरकार और प्रशासन द्वारा लागू किये गये हर लाइसेंस को लेकर चौक चौराहों और बाजार में खुलेआम ऐलानिया कारोबार करता है। वो कहीं एकान्त व जंगल में अपराधी की तरह गैर-कानूनी रूप से कोई कार्य नहीं करता ,ऐसे में उसके यहां हुए रेगूलर या आकस्मिक जांच पड़ताल को “छापा डाला गया” जैसे शब्द से न कलंकित किया जाए। समाज में एक ऐसी आम धारणा बनी है कि छापा शब्द अपराधियों के धर पकड़ के लिए पुलिस द्वारा इस्तेमाल होता है।अतः व्यापारिक प्रतिष्ठानों के आकस्मिक जांच पड़ताल को आकस्मिक जांच पड़ताल ही लिखा कहा जाए उसे “छापा” जैसे आहत करने वाले शब्दों से न नवाजा जाए।

You May Also Like

More From Author

+ There are no comments

Add yours